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________________ लगना (शब्दोंके आगे जो संख्याएँ दीगई हैं, वे पुस्तकके पेजोको है ) अन्तर्वीप ६६१ अष्टापद-४४२, ४६६ अक्षय तृतीया २४० आत्माके शत्रु ३६५ अग्निहोत्रं ब्राह्मण ४८९ आक्षाविचय (धर्मव्यान) ६३७ अजितनाथजीका परिवार ७६५ आदित्य पीठ २४४ अणुव्रत ३०,२७३ आर्यदेश व जातियाँ ६५६-६० अतिचार भूलसे व्रतोंमें दोप आयुर्वेदके अंग ८६ आरे १२२ अतिथि संविभाग २७४ इन्द्र चौसठ १४४-१५८, . अतिशय ३४ (सहलातातिशय ५६४-५७८ ४) १७५, (घातिकर्मक्षयजा- उत्तर गुण-३ गुणवत, व४ तातिशय ११ इन्द्रकीप्रार्थना शिक्षात्रत में) ६३१-३२, (देवकृताति- ऊर्ध्वलोक ६६६ शय १६ सगरकी प्रार्थनामें) ऋषभदेवजीका परिवार ४८१ ६३४-३६ ऐरावत (ण) २५० अनार्य जातियाँ और देश ६६० कला-देखो 'परिशिष्टः (क) अपाय (धर्मध्यान) ६३८ कर्म आठ ६३६ अभयदान २४ कल्पवृक्ष ३५, १२३ अवग्रह ४५४ कल्याणक १३६, ५५४ अष्टमंगल-स्वस्तिक, श्रीवत्स, काल-देखो परिशिष्ट (ख) नंद्यावर्त, बर्द्धमान, मद्रासन, कालोदधि समुद्र ६५७ कलश, मत्स्ययुगल, दर्पण. कुलकर १२५--१३२ (युगलियों (दे० पे० ५५२) के राना)
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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