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________________ श्री अजितनाथ-चरित्र [५६१ .. दक्षिण रुचकादिमें रहनेवाली, सुंदर आभूपण, दिव्य वस्त्र और मालाएँ धारण करनेवाली समाहारा, सुप्रदत्ता, सुप्रबुद्धा, यशोधरा, लक्ष्मीवती, शेपवती, चित्रगुप्ता तथा वसुंधरा नामोंको धारण करनेवाली और पूर्ववत परिवारवाली आठ दिक्कुमारियाँ प्रभुके मंदिरमें आई और स्वामिनीको प्रदक्षिणापूर्वक नमस्कार कर, अपना परिचय दे, भगवान और उनकी माताके दक्षिण तरफ, मधुर शब्दों द्वारा मंगलगीत गाती हुई हाथोंमें कलश लेकर खड़ी रहीं। (२०२-२०५) पश्चिम रुचकादिमें बसनेवाली आठ दिशाकुमारियों उतनाही परिवार लेकर वहाँ आई। उनके नाम इलादेवी, सुरादेवी, पृथ्वी, पद्मावती, एकनासा, नवमिका, भद्रा और सीता हैं । वे पूर्ववत अपना परिचय दे, प्रदक्षिणा कर, जिन और जिनमाताके पश्चिम तरफ अपने हाथोंमें सुंदर पंखे लिए गायन करती हुईं खड़ी रहीं । ( २०६-२०८) उत्तर रुचकाद्रि में निवास करनेवाली अलंबुसा, मिश्रकेशी, पुंडरीका, वारुणी, हासा, सर्वप्रभावा, श्री और ही नामकी आठ दिक्कुमारियाँ पूर्ववत परिवार सहित वहाँ आई और अपना परिचय दे, प्रदक्षिणापूर्वक भगवान और उनकी माताको नमस्कार कर, हाथमें सुंदर चमर ले, गायन करती हुई उत्तर दिशाकी तरफ खड़ी रहीं।। (२०६-२११) विदिकम्चकाद्रिमें रहनेवाली चित्रा, चित्रकनका, सुतेग और सौत्रागणी नामकी चार कुमारियों वहाँ आई और प्रदक्षि. ___ ३६ - - - - -
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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