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________________ ५.०] त्रिपष्टि शलाका पुरुप-चरित्रः पर्व १. सर्ग६. - १३-कृतवर्म राजाके पुत्र और श्यामादेवीरूप शमीवृक्षमेंसे प्रकटी हुई अग्निके समान हे विमलस्वामी! आप हमारा मन निर्मल कीजिए। १४-सिंहसेन राजाक कुलमें मंगलदीपक और सुयशादेवीके पुत्र हे अनंतभगवान ! आप हमें अनंत सुख दीलिए । १५-मुत्रतादेवीरूप उन्याचलकी तटी (नदी में सूर्यरूप और भानु राजाके पुत्र हे धर्मनाथ प्रभो ! मेरी बुद्धिको धर्ममें स्थापन कीजिए। १६-विश्वसेन राजाकं कुलमें आभूषणरूप और अचिरादेवीके पुत्र हे शांतिनाथ भगवान ! आप हमारे कमांकी शांतिका कारण बनिए। १७- शूर राजाके वंशरूप आकाशमें सूर्यके समान, श्रीदेवीके उदरसे जन्मे हुए और कामदेवका उन्मन (वध ) करनेवाले हे जगत्पति कुंथुनाथ ! आपकी जय हो। १८-सुदर्शन राजाके पुत्र और देवी-मातारूप शरदलक्ष्मीमें कुमुदके समान हे अरनाथ ! आप मुझे संसार पार करनेरूप वैभव दीजिए १६-कुंमग़जाप समुद्रमें अमृतकुंमके समान और कोका तय करनेको महामल्लके समान प्रभावती देवीसे जन्मे हुए है मल्लिनाथ ! आप मोक्षलक्ष्मी दीजिए। २०-मुमित्र राजारूपी हिमाचल में पद्महक समान और पद्मावती देवी पुत्र हे मुनिमुत्रत प्रभो ! मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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