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________________ ४७.] त्रिषष्टि शलाका पुरुप-चरित्रः पर्व १. सर्ग ६. नौ वासुदेव कृष्णवर्णवाले होंगे। उनमेंसे एक, आठवें वासुदेव कश्यपगोत्री और बाकीके आठ गौतमगोत्री होंगे । उनके सापत्न भ्राता(सतिले भाई)भी नौहोंगे । उनके वर्ण श्वेत होंगे। वे बलदेव कहलाएंगे। १-पोतनपुर नगरमें प्रजापति राजा और मृगावती रानीके त्रिपृष्ट नामक प्रथम वासुदेव होंगे। उनका शरीर अस्सी धनुषका होगा। जब श्रेयांम जिनेश्वर पृथ्वीपर विचरण करते होंगे तब वे (त्रिपृष्ठ) चौरासी लाख बरसकी आयु पूर्ण कर अंतिम नरक जाएंगे। २-द्वारका नगरीमें ब्रह्म राजा और पद्मावती देवीके द्विपृष्ट नामक पुत्र दूसरे वासुदेव होंगे । उनकी सत्तर धनुपकी काया और बहत्तर लाग्न वर्षकी श्रायु होगी। वे वासुपूज्य जिनेश्वरके विहारके समयमें होंगे और अंतमें छठी नरकभूमिमें जाएँगे। ३-द्वारकामें भद्र राजा और पृथ्वीदेवीके पुत्र स्वयंभू नामक तीसरे चामुद्देव होंगे। उनकी आयु साठ लाख बरसकी और काया साठ धनुपकी होगी। वे विमल प्रभुको वंदना करनेवाले (अर्थात विमलनाथ तीर्थंकरके समयमें) होंगे। वे अंतम आयु पूर्ण कर छठी नरकभूमिमें जाएँगे। ४-उसी नगरीमें यानी द्वारकम सोम राजा और सीतादेवीके पुरुषोत्तम नामक पुत्र चौथे वासुदेव होंगे। उनकी काया पचास धनुषकी और उम्र तीस लाख बरसकी होगी। वे अनंतनाथ प्रभुके समयमें होंगे और मरकर छठी नरकभूमिमें जाएंगे। ५-अश्वपुर नगरमें शिवराज राना और अमृतादेवी रानी.
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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