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________________ त्रिपष्टि शलाका पुरुष चरित्र: पर्व ९. सर्ग ६. ४६८ ] और दो नरक जाएँगे। १- तुम ( पहले चक्रवती ) मेरे समय हुए हो । २-अयोध्या नगरी में अजितनाथ नीर्थकरके समय सुगर नामक दूसरा चक्रवर्ती होगा । वह सुमित्र राजा और यशोमतीरातीका पुत्र होगा। उसकी काया लाई चार सौ धनुषकी और घायु बहत्तर लाख पूर्वकी होगी । ३- श्रावस्ती नगरी समुद्रविजयराजा और महा रानी के सवा नामक पुत्र तीसरी होंगे। उनकी काया साढ़ेचालीस धनुषकी और आयु पाँच लाख बरसकी होगी । --- 2- हस्तिनापुर अश्वसेन राजा और सहदेवी रानीक सनत्कुमार नामक पुत्र च होंगे। उनकी काया साईउनचालीस धनुष प्रमागाची और घायु तीन लाख बरसकी होगी | ये दोनों चक्रवर्ती धर्मनाथ और शांतिनाथ के अंतर होंगे और तीसरे देवलोक जाएँगे। ४, ६, ७-शांति, कुँयु और घर, ये तीन तीर्थकर, चक्रवर्ती श्री होंगे। -उनके बाद हस्तिनापुर छतवीर्य राजा और तारारानीके पुत्र सुमोम नामक आठवें चक्रवर्ती होंगे। उनका साठ हजार बरसकी और काया अठाईस धनुपकी होगी । व श्ररनाथ और मल्लीनाथकं समय में होंगे और सातवें नरक में जाएँगे ।
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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