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१३४] त्रिषष्टि शलाका पुरुष-चरित्रः पर्व १. सर्ग ५.
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दर्शन और कंवलज्ञान जिनको गम सौम्य दर्शनवाल महात्मा बावली चद्र जैसे मूरजकं पान जाना है सही, ऋषभम्बामी. के पास गए । नार्थंकरको प्रदक्षिणा दे और नीर्थको नमस्कार. कर, जगत्पूज्य बाहुबली मुनि प्रतिनाको तर कर केंवलियोंकी पपदामें जा बैठे। ( ७६-७८ ) आचार्य श्री हमचंद्रविरचित, त्रिपष्टिशलाका पुरुषचरित्र महाकाव्यक प्रथम पर्वका, बाहुबलीसंग्राम, दीक्षा-केवलज्ञान कीर्तन नामका
पाँचवाँ सर्ग पूरा हुआ।