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________________ २६. विठ शलाका बुनन-चरित्र: पर्व १. १२. सूरज और चाँदी लच्ली ( शोमा की हरनबाड़ी सोने और चाँदीची नाला बनाने लगे। और कई देवता नुहने अमन गंडूष छल्ली) महोब अपने स्टन गालों पुडासलाकर गंन्द्र जाने लगे। इस नाट्ट बांड बनार हनन्द नरहने बाजांची प्रतिवनि प्राशमी बाइक (जानवान न होने हुमी बननेवाला परवाना हो गया। (261-233) आप मुनियान इत्वरले उहा, " बगाय ! ई सिद्धिमानी कामगार वर्मप्रवक! तुन्हाय जय हो ! तुम सदा मुन्बी रहो। ५४४) ___ अच्युन्न बालसाहब, गति और बस्तुबदन नाममनोहर गद्य-पद्य बाग सानी नुनि श्री जितबह वीर वीरे अपने परिवार देवों सहित वनमनी र तीनोंलोडछोपाचनवाले श्रादिनाय )पर बरवीर कुमजल नलगा। माधान नवकार बनवान हालत हुषबग बलय) नेर पद शिवसरवर हल बादलगिनान मादल होने हो। भगवान मन्तवे दोनों बनाना चाहुल अन्तरा माणिज्य चटकी सामाअंधार करने लगा चोदनों मुखवाले ऋलशाल गिरती हूई बल बाग दर्दनी गुन निकलने डुलन्न यनान गोपने लगी। मनमाग उछलकर बानें तक गिर पडलछट वा एक ननाद सोमन लगे ले गर्गखर शिनही ईनि विदरजन बैलर भन्दमाग समान, बाट पर, वे दिवान लडाउने आपल-मान, पानोंडे भागने शार, विश्रांद (च) नॉकी तिथे जैसा, कोड
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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