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________________ [१२] श्री त्रियष्टि शलाका-पुन्य-चरित्रका सम्पूर्ण गुजराती अनुवाद भावनगरसे प्रकाशित हुआ है। परन्तु इसका उपयोग केवल गुजराती भाषा जाननेवाले ही कर सकते हैं। वर्तमानमें हिंदी राष्ट्रभाषा हुई है। लगभग बीस करोड़ लोग इसे बोलते और समझते हैं। इसलिए यदि हिंदी भाषामें ग्रंथ प्रकाशित किए जाएं तो उसका उपयोग हिंदी नाननेवाले जैन और जैनेनर सभी कर सकें, लोग जैनधर्मको अच्छी तरह समझ सकें और जैनधर्मका प्रचार हो । यह बात अपने स्व. पंजाब केसरी, वयोवृद्ध प्राचाय श्री विजयवलमसूरीधरजीने हमको (ज्ञान-समितिक कार्यकर्ताओंको) समझाई और उन्हींकी सूचना और प्रेरणासे हमारी समितिने सं० २००६ के पोस बद्री ७ बुधवार. ता०७-१-५३ के दिन कार्यकारिणीकी बैठकम, त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र पर्व पहले और दूसरेका हिंदी अनुवाद प्रकाशित करानका प्रस्ताव किया। उसके अनुवादका काम प्रसिद्ध लेखक साहित्यमूपण श्रीयुत कृष्णलाल वमी को सौंपा गया। श्री कृमाजाल वर्मा अजैन घरमै जन्म लेकर भी जैनधर्मक अभ्यासी हैं, इतना हा नहीं वे पूर्णतया जनाचार पालते हैं। इसलिए यद्यपि इनके अनुवादमें अपने सिद्धांतोंके विमद किसी वानका पाना संभव नहीं है तथापि यदि किसी जगह कोई भूल रह गई हो तो विन्न पाठक उसे मुबारकर पढ़े और हम सूचित करें ताके वह मूल सुधार दी जाए । '. हिंदीमापा जाननेवाले लोगोंक तिर यह ग्रंथ प्रकाशित किया जा रहा है। इसका मूल्य लागतसे भी कम रखा गया है। श्राशा है हिंदीमापी हमार इन प्रयत्नको सफल बनाने
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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