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________________ ३० स्वामी समन्तभद्र। RANAwarwww इस पद्यमें दिये हुए आत्म-परिचयसे यह मालूम होता है कि 'करहाटक' पहुँचनेसे पहले समन्तभद्रने जिन देशों तथा नगरोंमें वादके लिये विहार किया था उनमें पाटलीपुत्र (पटना) नगर, मालष, ( मालवा ) सिन्धु तथा ठेक्क (पंजाब) देश, कांचीपुर ( कांजीवरम् ), और वैदिशे ( भिलसा ) ये प्रधान देश तथा जनपद थे जहाँ उन्होंने बादकी भेरी बजाई थी और जहाँ पर किसीने भी उनका विरोध नहीं १ कनिंघम साहबने अपनी Ancient Geography (प्राचीन भूगोल) नामकी पुस्तक में ' ठक्क' देशका पंजाब देशके साथ समीकरण किया है (S. I. J. 30 ); मिस्टर लेविस राइस साहबने भी अपनी श्रवणबेल्गोलके शिलालेखोंकी पुस्तकमें उसे पंजाब देश लिखा है । और 'हिस्टरी आफ कनडीज लिटरेचर' के लेखक मिस्टर ऐडवर्ड पी. राईस साहबने उसे In the Punjab लिखकर पंजाबका एक देश बतलाया है। परंतु हमारे कितने ही जैन विद्वानोंने ' ठक्क' का 'ढक्क' पाठ बनाकर उसे बंगाल प्रदेशका 'ढाका ' सूचित किया है, जो ठीक नहीं है। पंजाबमें, 'अटक' एक प्रदेश है। संभव है उसीकी वजहसे प्राचीन कालमें सारा पंजाब 'ठक्क' कहलाता हो, अथवा उस खास प्रदेशका ही नाम ठक्क हो जो सिंधुके पास है। पद्यमें भी सिंधु' के बाद एक ही समस्त पदमें ठकको दिया है इससे वह पंजाब देश या उसका अटकवाळा प्रदेश ही मालूम होता है-बंगाल या ढाका नहीं। पंजाबके उस प्रदेशमें 'ठट्ठा' आदि और भी कितने ही नाम इसी किसम के पाये जाते हैं। प्राप्तनविमर्षविचक्षण राव बहादुर आर० नरसिंहाचार एम० ए० ने भी ठकको पंजाब देश ही लिखा है। २ विदिशाके प्रदेशको वैदिश कहते हैं जो दशार्ण देशकी राजधानी थी और जिसका वर्तमान नाम भिलसा है । राइस साहबने 'कांचीपुरे वैदिशे' का अर्थ to the out of the way Kanchi किया था जो गलत था और जिसका सुधार श्रवणबेलगोल शिलालेखोंके संशोधित संस्करणमें कर दिया गया है । इसी तरह पर आय्यंगर महाशयने जो उसका अर्थ in the far off city of Kanchi किया है वह भी ठीक नहीं है।
SR No.010776
Book TitleSwami Samantbhadra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1925
Total Pages281
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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