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________________ ५८ आगम के अनमोल रत्न प्राप्त किया । देवों ने समवशरण रचा । भंगवान ने देशना दी । भगवान की देशना सुनकर अनेक नर नारियों ने प्रवज्या ग्रहण की। उनमें वज्रनाथ आदि एक सौ सोलह गणधर मुख्य थे । भगवान के मुख से त्रिपदी को सुनकर उन्होंने चौदह पूर्व सहित द्वादशांगी की रचना की । भगवान की देशना के पश्चात वज्रनाथ गणधर ने धर्म देशना दी । 'ह देशना द्वितीय प्रहर तक चलती रही। ____भगवान के शासन रक्षक देष यक्षेश्वर एवं शासन देवी कालिका थी। चौतीस अतिशय से युक्त भगवान अपने विशाल शिष्य परिवार के साथ ग्रामानुग्राम भव्यों को प्रतिबोध देते हुए विचरने लगे। भगवान के ३०००००साधु, ६३०००० साध्वियाँ, ९८०० अवधिज्ञानी, १५०० चौदह पूर्वधर, ११६५० मनःपर्ययज्ञानी ११.०० वादलब्धि वाले, २८८००० श्रावक एव ५२७००० श्राविकाएँ हुई। केवलज्ञान प्राप्त करने के बाद आठ पूर्वाग अठारहवर्षन्यून लाख पूर्व व्यतीत होने पर एवं अपना निर्वाण काल समीप जानकर भगवान समेतशिखर पर पधारे। वहाँ एक हजार मुनियों के साथ अनशन ग्रहण किया । वैशाख मास की शुक्ल अष्टमी के दिन सम्पूर्ण कर्मों का अन्त कर भगवान हजार मुनियों के साथ निर्वाण को प्राप्त हुए । इन्द्रादि देवों ने भगवान का देह संस्कार कर निर्वाण महोत्सव मनाया। भगवान ने कुमारावस्था में साढ़े बारह लाख पूर्व, राज्य में आठ पूर्वाग सहित साढ़े उत्तीस लाख पूर्व एवं आठ पूर्वीग कम एक लाख पूर्व दीक्षा में व्यतीत किये । इस प्रकार भगवान की कुल आयु पचास लाख पूर्व की थी। संभवनाथ भगवान के निर्वाण के बाद दस लाख करोड़ सागरोपमव्यतीत होने पर भगवान् अभिनन्दन मोक्ष पधारे । ५. भगवान मुमतिनाथ जम्बूद्वीप के पूर्व विदेह में पुष्कलावती विजय में 'शंखपुर' नाम का नगर था । वहाँ 'जयसेन' नाम का राजा राज्य करता था ।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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