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________________ ६८८ आगम के अनमोल रत्न जयन्ती-भगवन् ! जीवों की सबलता अच्छी है या दुर्बलता ? भगवान-कुछ जीवों की सबलता अच्छी है और कुछ जीवों की दुर्बलता अच्छी है। जयन्ती-यह कैसे? भगवान-जयन्ती ! जो जीव अधार्मिक है और अधर्म से जीवि-- कोपार्जन करते हैं, उन जीवों के लिये दुर्बलता अच्छी है क्योंकि ऐसे जीव दुर्बल होने से दूसरों को त्रास देने में और अपनी भात्मा को पापों से मलीन बनाने में विशेष समर्थ नहीं होते । जो जीव धर्मिष्ट, धर्मानुगामी और धर्ममय जीवन बिताने वाले हैं उनकी सबलंता अच्छी है. क्योंकि ऐसे जीव सबल होने पर भी किसी को दुःख न देते हुए अपना. तथा औरों का उद्धार करने में अपने बल का उपयोग करते हैं। जयन्ती-भगवन् ! जीवों का दक्ष, उद्यमी होना अच्छा है या आलसी होना ? भगवन्-कुछ जवों का उद्यमी होना अच्छा है और कुछ जीवों का आलसी होना अच्छा है ? . . जयन्ती-यह कैसे ? दोनों ब.तें अच्छी कैसे हो सकती हैं ? - भगवान्-जयन्ती ! जो जीव अधर्मो, अधर्मशील और अधर्म से जीने वाले हैं उनका आलसीपन ही अच्छा है, क्योंकि ऐसा होने से वे अधर्म का अधिक प्रचार न करेंगे। इसके विपरीत जो जीव धर्मी, धर्मानुगामी और धर्म से ही जीवन बितानेवाले हैं उनका उद्यमी - होना अच्छा है क्योंकि ऐसे धर्मपरायण जीव सावधान होने से आचार्य, उपाध्याय, वृद्ध, तपस्वी, रोगी तथा बाल भादि की वैयावृत्य करते हैं, कुल गण, सघ तथा साधर्मिकों की सेवा में अपने को लगाते हैं और ऐसा करते हुए वे अपना और दूसरों का भला करते हैं। जयन्ती-भगवन् ! पांचों इन्द्रियों के वश में पड़े हुए -जीव किस. प्रकार के कर्म बांधते हैं ?
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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