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________________ ANN आगम के अनमोल रत्न ६७१ छोटे भाई हल और विहल्ल कुमार के हाथी को लेकर कोणिक और महाराजा चेटक के बीच जब भयंकर युद्ध हुभा था। उस समय भगवान महावीर चम्पा में विराजमान थे । युद्ध में अपने पुत्रों का मरण सुन कर इन महारानियों ने भगवान के पास दीक्षा ग्रहण की थी। ये रानियाँ श्रेणिकराजा की मृत्यु के बाद चम्पा में दीक्षित बनो थी । इन रानियों का परिचय इस प्रकार है काली रानी चम्पा नाम की नगरी थी । वहाँ पूर्णभद्र नाम का उद्यान था। वहाँ कोणिक नाम का राजा राज्य करता था । श्रेणिक राजा की रानी •एव कोणिक राजा की लघु माता 'काली' देवी थी । उस काली रानी ने नन्दा रानी के समान श्रमण भगवान महावीर के समीप दीक्षा ग्रहण की और सामायिक आदि ग्यारह अगसूत्रों का अध्ययन किया। वह उपवास बेला आदि बहुत सी तपस्या करमे लगी। एक दिन काली आर्या महासती चन्दनवाला के पास आई और हाथ जोड कर विनय पूर्वक बोली-हे आर्थे ! आपकी आज्ञा ले कर मै रत्नावली तप करना चाहती हूँ। तब चन्दनवाला आर्या ने उत्तर दिया-हे देवानुप्रिये ! जैसी तुम्हारी इच्छा । चन्दनवाला की आज्ञा प्राप्त कर काली आर्या ने रत्नावलो तप प्रारभ कर दिया । पहले उसने उपवास किया और पारणा किया। पारणा में विगय का त्याग करना जरूरी नहीं है । पारणा करके वेला किया, फिर पारणा करके तेला किया । फिर आठ तेले किये फिर उपवास किया। फिर बेला किया और तेला किया । इस प्रकार अन्तर रहित चोला किया, पांच किये, छह किये, सात, आठ, नौ, दस, ग्यारह, बारह, तेरह, चौदह, पन्द्रह, और सोलह किये । फिर चौतीस बेले किये । फिर पारणा करके सोलह दिन की तपस्या की । पारणा करके फिर पन्द्रह दिन की तपस्या की। इस प्रकार पारणा करती हुई क्रमशः चौदह, तेरह, बारह, ग्यारह, दस, नौ, माठ, सात, छ, पांच, चार,
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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