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________________ आगम के अनमोल रत्ना उस समय धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वार्द्ध भाग में चम्पा नाम की नगरी थी। वहाँ पूर्णभद्र नामक चैत्य था । उस चम्पा नगरी में कपिल नाम के वासुदेव राज्य करते थे। . ___ उस समय मुनि सुव्रत नाम के अरिहन्त का चम्पा नगरी में आगमन हुआ था । कपिल वासुदेव अरिहन्त भगवान की देशना सुनने के लिए उनके पास गया और वन्दन कर धर्म श्रवण करने लगा । धर्मश्रवण करते करते अचानक पाँचजन्य शंख की आवाज कपिल वासुदेव ने सुनी । शंख की ध्वनि सुनकर कपिलवासुदेव सोचने लगे"क्या मेरा जैसा, अन्य भी कोई वासुदेव यहाँ पैदा हुआ है क्योंकि पांचजन्य वासुदेव के सिवाय अन्य कोई नहीं फूंक सकता ।" । भगवान मुनिसुव्रत कपिल के मनोगत भावों को समझ गये और बोले- कपिल ! एक ही क्षेत्र में दो वासुदेव, दो बलदेव, दो चक्रवर्ती, दो तीर्थकर एक साथ उत्पन्न नहीं होते । यह शंख की जो आवाज. आ रही है वह तुम्हारे ही समान वैभव सम्पन्न भरत क्षेत्र के वासुदेव श्रीकृष्ण की है । वे इस समय द्रौपदी का अपहरण करने वाले अमरकंका के राजा पद्मनाभ से युद्ध कर रहे हैं । उन्होंने ही यह शंख फूंका है। यह सुनकर कपिल वासुदेव बढ़े प्रसन्न हुए। वे वन्दन कर के भगवान से बोले-भगवन् ! मैं जाऊँ और पुरुषोत्तम कृष्णवासुदेव को देखू-उनके दर्शन करूँ । तव मुनिसुव्रत भगवान ने कपिल से कहा-कपिल ! ऐसा हुआ नहीं, होता नहीं और होगा नहीं कि एक तीर्थंकर दूसरे तीर्थंकर को देखे, एक चक्रवर्ती दूसरे चक्रवर्ती को देखे, एक बलदेव दूसरे बलदेव को देखे। फिर भी तुम लवण समुद्र के बीच से आते हुए कृष्ण वासुदेव के श्वेत एवं पीत ध्वज के अप्रभाग को देख सकोगे।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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