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________________ आगम के अनमोल रत्न लड्डू लेकर बाहर चला आया । उसे खाते समय उसमें से एक रत्न मिला । उस रत्न को उसने पाठशाला के अपने अन्य साथी विद्यार्थियों को बताया । उस रत्न को लेकर वे एक पूआ बेचने वाले के पास गये और उसे देकर बोले तुम हमें इसके बदले में प्रतिदिन पूमे दिया करो उसने बात मंजूर कर अब वे प्रतिदिन पू; वाले से 'पूआ पाने लगे। यह बात कृतपुण्य को मालूम हुई तो उसने सभी लड्डुओं में रत्न निकाल लिये उन रत्नों की सहायता से वह पुनः धनिक बन गया । ___ एक बार राजा श्रेणिक का हस्तिरत्न सेंचनक नहाने के लिये नदी में गया और वहाँ उसे मगर ने पकड़ लिया । राजा ने हाथी को मगर से बचाने के लिये बहुत प्रयन्न किये किन्तु उसका कोई फल नहीं हुआ । तब उसने अभयकुमार मन्त्री को बुलाकर कहाअभयकुमार ! सेंचनक को किसी भी उपाय से बचाओ। मंत्री ने कहाराजन् ! यदि कहीं जलकान्त मणि मिल जाय तो हाथी बच सकता है । राजा ने नगर भर में घोषणा करवाई कि जो कोई अलकान्तमणि को लाकर देगा उसे राजा अपना आधा राज्य और राजकन्या देगा। पूमे बेचने वाले ने जब यह घोषणा सुनी तो वह रत्न लेकर राजा के पास उपस्थित हुआ । वह रत्न जलकान्तमणि ही था । राजा जलकान्तमणि को देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ । उसने नदी में जलकान्त मणि को रख दिया । उस मणि के रखते ही सब जगह प्रकाश ही प्रकाश फैल गया । मगर मणि के प्रकाश से चौंधिया गया । जल को थल समझकर वह घबरा गया और उसने हाथी को छोड़ दिया। राजा ने पूछे बेचने वाले से पूछा-यह मणिरत्न तुझे कहा से मिला है। उसने कहा यह मणि मुझे कृतपुण्य के लड़के से.मिली है। राजा ने कृतपुण्य को बुलाया और उसका बहुत सन्मान किया । राजा
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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