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________________ मागम के अनमोल रत्न पूर्णभद्र गृहपति ये वाणिज्यग्राम के रहनेवाले थे। भगवान के पास दीक्षा लेकर इन्होंने पाच वर्ष तक चारित्र का पालन किया और अन्त में विपुलगिरि पर सिद्ध हुए। सुमनभद्र गृहपति ये श्रावस्ती नगरी के रहने वाले थे । भगवान के पास दीक्षा लेकर बहुत वर्षों तक इन्होंने श्रमणपर्याय का पालन किया और अन्त में विपुल पर्वत पर सिद्ध हुए। सुप्रतिष्ठ गृहपति ये श्रावस्ती नगरी के रहने वाले थे । भगवान के पास दीक्षा लेकर बहुत वर्षों तक इन्होंने श्रमण पर्याय का पालन किया और अन्त में विपुलगिार पर सिद्ध हुए । मेघ गृहपति ये राजगृह के रहनेवाले थे। भगवान के पास दीक्षा लेकर इन्होंने वहुत वर्षों तक श्रमण पर्याय का पालन किया और अन्तिम समय में एक मास का अनशन कर विपुल पर्वत पर मोक्ष गामी हुए । अलक्ष वाराणसी नाम की नगरी थी। वहाँ काममहावन नाम का उद्यान था । उस नगरी में अलक्ष नाम का राजा राज्य करता था। भगवान महावीर स्वामी प्रामानुग्राम विचरण करते हुए वाराणसी के काममहावन उद्यान मे ठहरे । परिषद् उनके दर्शनों के लिये निकली। महाराजा अलक्ष भी राजसी ठाट से भगवान के दर्शन करने के लिये गया । वहाँ जाकर वन्दना नमस्कार कर भगवान की सेवा करने लगा। भगवान ने उपदेश फरमाया । उपदेश सुनकर राजा भलक्ष के हृदय में
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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