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________________ ६०२ आगम के अनमोल रत्न vvvvvvvvvvw माली रहता था। उसकी स्त्री का नाम वंधुमती था । वह रूप की रानी थी। नगर के बाहर अर्जुनमाली का' फूलों का एक बगीचा था जिसमें भांति-भाँति के पंचवर्णीय ,पुष्प खिलते थे। उस बगीचे के पास ही मुद्गरपाणि नाम के यक्ष का एक यक्षायतन था जिसमें हाथ में हजार फल की लोहे की एक मुद्गर लिये हुए यक्ष की एक सुन्दर प्रतिमा थी । अर्जुनमाली के पिता, दादा, परदादा इसकी पूजा करते थे। अर्जुन भालो बचपन से ही मुद्गरपाणि यक्ष का भक्त था। वह प्रतिदिन अपनी बाँस की बनी टोकरियां लेकर बगीचे में जाता और फूल चुनता था । इन फूलों में जो फूल सब से सुन्दर होते उन्हें वह यक्ष को चढ़ाता । दोनों दम्पति मिलकर उसकी पूजा भक्ति करते और उसके बाद राजमार्ग पर फूल बेचकर अपनी आजीविका चलाते थे। इसी नगर में ललिता नाम की गोष्टी (मित्रमण्डली) रहती थी। जिसमें स्वच्छंदी आवारा, क्रूर व्यभिचारी लोग मिले हुए थे। यह उद्दण्ड टोली अपना मनमाना काम करती थी। एक बार इस टोली ने राजा का कोई खास काम किया था जिससे प्रसन्न होकर राजा ने इन्हें सब प्रकार की स्वतन्त्रता दे रखी थी। ये किसी भी अपराध पर दण्डित नहीं किये जाते थे। अतः ये मनमाना करने में स्वतंत्र थे। एक बार राजगृह नगर में बड़ा उत्सव था । अर्जुनमाली ने सोचा कि इस अवसर पर फूलों की बहुत विक्री होगी। वह सुबह जल्दी उठा और अपनी पत्नी बंधुमती को साथ लेकर बगीचे में पहुँचा। वहाँ उसने पत्नी के साथ चुन-चुन कर फूल एकत्रित किये । प्रति. दिन की तरह आज भी वह अच्छे अच्छे पुष्प लिये और बंधुमती के साथ यक्ष की पूजा करने चल दिया । उस समय ललिता गोष्ठी के छः गुण्डे अर्जुनमाली की पुष्पवाटिका में आमोद-प्रमोद कर रहे थे । उन्होंने देखा कि अर्जुनमाली अपनी औरत के साथ यक्ष मन्दिर में आ रहा है । यह देख वे सोचने
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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