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________________ वासुदेव और बलदेव १. त्रिपृष्ठ वासुदेव और अचल वलदेव पोतन नगर में रिपुप्रतिशत्रु नाम का राजा राज्य करता था। उसकी मुख्य रानी का नाम 'भद्रा' था । एक रात्रि में महारानी ने चौदह महास्वप्न में से चार महास्वप्न देखे । गर्भकाल के पूर्ण होने पर महारानी ने शुक्लवीय बालक को जन्म दिया । बालक का नाम 'अचल' रखा गया । रानी भदा के मृगावती नाम की पुत्री थी। वह अत्यन्त रूपवती थी। राजा रिपुप्रतिशत्रु उसके रूप पर आसक हो गया और उसने उसी के साथ विवाह कर लिया । राजा के इस अनीति पूर्ण व्यवहार से भद्रारानी अत्यन्त क्रुद्ध हुई और वह अपने पुत्र अचल को साथ में लेकर दक्षिनापथ में गई और वहीं माहेश्वरपुरी नामक नगरी बसाकर रहने लगी। इधर राजा का अपनी पुत्री के साथ विवाह करने कारण प्रजापति नाम पड़ा। प्रजापति की रानी मृगावती ने एक समय रात्रि में चौदह महास्वप्न में से सात महास्वप्न देखे । कालान्तर में उसने एक पुत्र को जन्म दिया । उसका नाम त्रिपृष्ट रक्खा गया । त्रिपृष्ट युवा हुआ । उसने अपने प्रतिशत्रु भश्वग्रीव को मार कर तीन खण्ड का राज्य प्राप्त किया । अचलकुमार भी अपने भाई के पास पोतनपुर आ गया। त्रिपृष्ट ने वासुदेव की और अचल ने बलदेव की उपाधि प्राप्त की । दोनों भाइयों में अगाध स्नेह था । चौरासी लाख वर्ष की भायु पूर्ण कर त्रिसृष्ट वासुदेव सातवीं नरक में उत्पन्न हुआ। ___ भाई की मृत्यु से अचल बलदेव को अत्यन्त दुःख हुआ । उन्हे धर्मघोष आचार्य के उपदेश से वैराग्य उत्पन्न हो गया और वे उनके पास दीक्षित हो गये। ८५ लाख वर्ष की अवस्था में जन्म जरा से मुक्त हो उन्होंने निर्वाण पद प्राप्त किया ।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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