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________________ বীধৰ শ্ৰঙ্গি २७९ गृहयास में और दीक्षा के समय शान पिरो भय में टेकर गाया गापाम में रहने तफ गभी चकरों ६ मलिन, पुन और अयधिशाम मे तीनों शान होने हैं। दीक्षा ग्रहण करने के समय में ही गौषा मनःपय गान हुमा । दीक्षा नगर भगपा. पग मामी में विनिता में और अग्नेिमिनाथ म्पनी में कार में की तोडगे ने अपनी जन्मभूमि दीक्षा वृक्ष गनी सी-हर मोर नंन प्राजिल से फि-णिपसंता बसोगतगनले सच्चे। दीक्षा तप मानिनाम ग्यानी नियम में और दामपत्य स्वामी उपवास तप से दाम हुए । धी पाय ग्यामी और मरित्रनाथ स्वामी ने रान रक्षा मेप बार जरों ने सरा सपक प्रग्या धारण की। दीक्षा परिवार भगवान महावीर स्वामी ने भयले दीक्षा ली। श्री पा नाय और मल्लिनाथ रामी ने तीन तीन सौ पुरषों के साथ दीक्षा । घामपुज्य स्वामी ने .. पुरषों के साथ गृहत्याग रिक्षा भगवान ऋपम देय मामी ने उग्र, भोग राज्य और क्षत्रियल के चार हजार पुरुषों के साथ दीक्षा ली । शेष उन्नीस ताधिदर एक एक हजार पुरुषों के 'माय दोसिन हुए। शेष सन्नीग तीर्थहर एक एक हजार पुरुषों के साथ दीक्षित हुए। श्री मल्लिनाथ स्वामी ने तीन सौ पुरुष और तीन सौ स्त्रियाँ इस प्रकार ६०० के परिवार से दीक्षा ली थी किन्तु सभी जगह एक ही की तीन सौ संख्या ली है। MAR mein
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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