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________________ तीर्थकर चरित्र २५१ प्रभु के समवशरण में अपापापुरी का राजा हस्तिपाल, काशी कोशल के नौ लिच्छवी तथा नौ मल्ली एवं अठारह गणराज भी आये। इन्द्रादि देव भी समवशरण में उपस्थित हुए। भगवान ने अपनी देशना प्रारम्भ कर दी। छठ का तप किये हुए भावान ने ५५ अध्ययन पुण्यफल विपाक सम्बन्धी और ५५ अध्ययन पापफल विपाक सम्बन्धी कहे । उसके बाद ३६ अध्ययन अप्रश्न व्याकरण-बिना किसी के पूछे कहे। उसके बाद अन्तिम प्रधान नाम का अध्ययन कहने लगे। उस समय इन्द्र ने भगवान से निवेदन किया-भगवन् ! आपके गर्भ, जन्म, दीक्षा, और केवलज्ञान में हस्तोत्तरा नक्षत्र था। इस समय उसमें भस्मकग्रह संकान्त होने वाला है । भापके जन्मनक्षत्र में संक्रमित वह ग्रह २ हजार वर्ष तक आपकी सन्तान (साधु-साध्वियों) को वाधा उत्पन्न करेगा। इसलिये वह भस्मक ग्रह आपके जन्म नक्षत्र से संक्रमण करे; तव तक आप प्रतीक्षा करें। भगवान ने कहा-इन्द्र ! आयु बढ़ाने की शक्ति किसी में भी नहीं है। उस दिन भगवान को केवलज्ञान हुए २९ वर्ष ६ महिना १५ दिन व्यतीत हुआ था। उस समय पर्येक आसन से बैठे प्रभु ने निर्वाण प्राप्त किया। जिस रात्रि में भगवान का निर्वाण हुआ उस रात्रि में बहुत से देवी देवता स्वर्ग से आये। अतः उनके प्रकाश से सर्वत्र प्रकाश हो गया। उस समय नव मल्ली, नौ लिच्छवी काशी कोशलके १८ गण राजाओं ने भाव ज्योति के अभाव में द्रव्य ज्योति से प्रकाश दिया। उसकी स्मृति में तब से आजतक दीपोत्सव पर्व चला आ रहा है। शोक संतप्त देवेन्द्र एव नरेन्द्रों ने भगवान का दाह संस्कार किया। भगवान की अस्थि को देवगण ले गये।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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