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________________ ww तीर्थड्वर चरित्र ____ वर्षाकाल पूरा होने पर भगवान वाणिज्यग्राम से ब्राह्मणकुण्ड के बहुसाल चैत्य में पधारे। यहाँ जमाली अपने पांच सौ साधुओं के साथ भगवान से अलग हो गया और उसने अन्यत्र विहार कर दिया । ब्राह्मणकुण्ड ग्राम से भगवान कोशांवी पधारे । यहाँ सूर्य चन्द्र ने पृथ्वी पर उतर कर भगवान के दर्शन किये । यहाँ से विहार कर काशीराष्ट्र में से होकर भगवान राजगृह के गुणशील उद्यान में पधारे। इस वर्ष में भगवान के शिष्य वेहास अभय आदि अनगारों ने विपुलपर्वत पर अनशन कर देवपद प्राप्त किया। २५वाँ चातुर्मास भगवान ने इस वर्ष का चातुर्मास राजगृह में विता कर चंपा की भोर विहार कर दिया । मगधपति श्रेणिक की मृत्यु के बाद कोणिक ने चम्पा को अपनी राजधानी बनाया इस कारण मगध का राजकुटुम्ब चम्पा में ही रहता था । भगवान निर्गन्य प्रवचन का प्रचार करते हुए चंग पधारे और पूर्णभद्र उद्यान में ठहरे । भगवान के आगमन का समाचार सुनकर कोणिक बड़े राजसी ठाठ से भगवान के दर्शन के लिये गया।चंग के नागरिक भी विशाल संख्या में भगवान के पास गये और भगवान की वाणी सुनी । कइयों ने सम्यक्त्व ग्रहण किया, कइयों ने श्रावक व्रत लिये और कई मुनि वने । मुनि धर्म अंगीकार करने वालों में पद्म, महापद्म, भेद्र, सुभद्र, पद्मभद्र, पद्मसेन, पद्मगुल्म, आनन्द और नन्द मुख्य थे । ये सभी श्रेणिक के पौत्र थे । जिनपालित आदि धनपतियों ने भी श्रावकधर्म स्वीकार किया । चम्पो से विहारकर प्रभु काकन्दी पधारे । यहाँ क्षेमक, धृतिघर आदि ने श्रमणधर्म स्वीकार किया। इस वर्ष का चातुर्मास आपने मिथिला में विताया । चातुर्मास समाप्ति के बाद भापने अंग देश की ओर विहार किया।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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