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________________ १२३४ आगम के अनमोल रत्न कर केवलज्ञान प्राप्त किया। देवानन्दा को भी केवलज्ञान उत्पन हो गया। इन दोनों ने अन्तिम समय में एकमास का अनशन कर निर्वाण पद प्राप्त किया । । ". भगवान महावीर की पुत्री सुदर्शना ने भी जो जमालि से व्याही थी इसी वर्ष एकहजार स्त्रियों के साथ आर्य चन्दना के पास दीक्षा ग्रहण की । भगवान ने अपना १४वा चातुर्मास वैशाली महानगर में व्यतीत किया ।' १५वाँ चातुर्मास चातुर्मास समाप्त होने पर भगवान ने वैशाली से वत्स भूमि की ओर विहार किया। मार्ग में अनेक ग्राम नगरों को पावन करतेहुए वे कोशाम्बी पहुँचे और नगर के वाहर चन्द्रावतरण उद्यान में ठहरे। __ कोशाम्बी के तत्कालीन राजा का नाम उदयन था । उदयन वत्सदेव के प्रसिद्ध राजा सहस्रानीक का पौत्र तथा राजा; शतानीक का पुत्र और वैशाली के सम्राट् चेटक का दोहता होता था। वह अभी नाबालिक था । अतः राज्य का प्रबन्ध उसकी माता मृगावतीदेवी प्रधानों की सलाह से करती थी। यहाँ जयन्ती नामकी प्रसिद्ध श्राविका रहती थी। __भगवान महावीर का आगमन सुनकर महाराज उदयन, श्राविका जयन्ती, महारानी मृगावती तथा नगरी के अनेक नागरिकों ने भगवान के दर्शन किये और उपदेश श्रवण किया । जयन्ती श्राविका ने भगवान से अनेक प्रश्न किये और उनका समाधान पाकर उसने भार्या चन्दना से दीक्षा ग्रहण की। भगवान ने वहाँ से श्रमणसंघ के साथ श्रावस्ती की भोर विहार किया। श्रावस्ती पहुँच कर आप कोष्ठक उद्यान में ठहरे। यहाँ अनगार सुमनोभद्र और सुप्रतिष्ठित आदि की दीक्षाएँ हुई। कोशल प्रदेश से विहार करते हुए श्रमण भगवान महावीर विदेह भूमि पधारे। यहाँ वाणिज्यग्राम निवासी गाथापति आनन्द ने एवं
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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