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________________ तीर्थङ्कर चरित्र २२७ हुई थी। उसने जो कुछ सुना अपनी रानी से कह सुनाया। रानी ने राजा से कहा कि ऐसे राज्य से क्या लाभ जो भगवान को आहार तक नहीं मिलता ? राजा ने मंत्री को बुलाकर इस बात की चर्चा की । राजा ने अपने धर्मगुरु से सव भिक्षुभों के आचार व्यवहार पूछकर उनका अपनी प्रजा में प्रचार किया, परन्तु फिर भी महावीर को भिक्षा-लाभ नहीं हुआ । भगवान के अभिग्रह को पांच महीने हो चुके थे और छठा महिना पूरा होने में सिर्फ पांच दिन शेष रह गये थे । भगवान नियमानुसार इस दिन भी कोशाम्बी में भिक्षा-चर्या के लिये निकले और फिरते हुए सेठ धनावह के घर पहुँचे । यहाँ मापका अभिग्रह पूर्ण हुआ और आपने चन्दना राजकुमारी के हाथों भिक्षा ग्रहण की। देवों ने वसुधारादि पांच दिव्य प्रकट किये । कोशांबी से सुमंगल, सुच्छेता, पालक आदि गावों में होते हुए भगवान चम्पानगरी पधारे और चातुर्मासिक तप कर वहीं स्वातिदत्त ब्राह्मण की यज्ञशाला में वर्षावास विताने लगे। यहाँ पर भगवान की तपसाधना से आकृष्ट होकर पूर्णभद्र और मणिभद्र नामक दो यक्ष रात्रि के समय आकर आपकी भक्ति करने लगे । स्वातिदत्त को जब इस बात का पता चला तो वह भी भगवान के पास आया और बोला-भगवन् ! आत्मा क्या वस्तु है ? सूक्ष्म का क्या अर्थ है और प्रत्याख्यान किसे कहते है ? भगवान ने उसका समाधान कर दिया । चातुर्मास की समाप्ति के बाद भगवान जभिय गांव की तरफ पधारे । जैभिय गांव में कुछ समय ठहर कर भगवान वहाँ से मिडिय होते हुए छम्माणि गये और गांव के बाहर कायोत्सर्ग में लीन हो गये। ____सन्ध्या के समय एक ग्वाला (जिसके कानों में भगवान ने अपने वासुदेव के पूर्वभव में सीसा तपाकर डाला था वही जीव),भगवान के
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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