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________________ तीर्थङ्कर चरित्रः . २०७ भगवान महावीर 'ज्ञातखण्ड', 'उद्यान से विहार करके उस दिन शामको जब एक मुहूर्त दिन शेष रहा तो कार प्राम भा पहुँचे। वहाँ वे ध्यान में स्थिर होगये । एक ग्वाला सारेदिन हल जोतकर संध्या के समय वैलों को साथ में लिये घर की ओर लौट रहा था। वह भगवान को खड़े देखकर अपने वैल उनके पास छोड़, गाय दुहने के लिये घर चला गया। बैल चरते-चरते जंगल में दूर निकल गये । अव ग्वाला लौटा तो उसने भगवान के पास बैलों को नहीं पाया । उसने भगवान से पूछा-आर्य !: मेरे बैल कहाँ गये ? भगवान की ओर से प्रत्युत्तर नहीं मिलने पर उसने समझा कि उनको मालूम नहीं है। वह जंगल में बैलों को खोजने के लिये चला गया। बहुत खोजने पर भी जब बैल नहीं मिले तो वह वापस लौट आया 1 बैल भी चरते-फिरते भगवान के पास आकर खड़े हो गये। उसने भगवान के पास वैलों को खड़े हुए देखा । बैलों को भगवान के पास देखा वह अत्यन्त ऋद्ध हुआ और भगवान के पास भाकर वोला-अरे दुध ! तेरा विचार मेरे वैलों को चुराकर भागने का था इसीलिये जानते हुए भी तू ने मेरे बैल नहीं वताये । ऐसा कहकर वह भगवान को मारने के लिये दौड़ा । भगवान शान्त थे और वाला रस्सियों से भगवान को मारे. जा रहा था । उस समय इन्द्रं अपनी सभा में बैठा विचार कर रहा था कि जरा देखें तो सही कि भगवान प्रथम दिन क्या करते हैं । इन्द्र ने अपने ज्ञान का उपयोग लगाया तो पता चला कि ग्वाला भगवान को मार रहा है । इन्द्र ने तत्काल उसे स्थंभित कर दिया । वह ग्वाले के पास आया और बोला-'अरे दुरात्मन् ! तू यह क्या अनर्थ करने जा रहा है, जानता 'नहीं ये कौन है ? ये महाराज सिद्धार्थ के पुत्र वर्धमान कुमार हैं" वाला लज्जित होकर चला गया । -ग्वाले के चलेजाने पर भगवान महावीर को वन्दनकर इन्द्र बोला-भगवन ! भापको भविष्य में बड़े-बड़े कष्ट झेलने पड़ेंगे। आपको
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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