SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तीर्थङ्कर चरित्र : , . २०३ की आज्ञा को शिरोधार्य कर भगवान ने वसन्तपुर के राजा समरवीर की रानी पद्मावती के गर्भ से उत्पन्न राजकुमारी यशोदा के साथ शुभ मुहूर्त में पाणिग्रहण किया;। . . :--- • राजकुमार महावीर यशोदा के साथ सुखपूर्वक रहने लगे । कालान्तर में उन्हें 'प्रियदर्शना' नाम की पुत्री हुई । प्रियदर्शना जब युवा हुई तब उसका विवाह क्षत्रियकुण्ड के राजकुमार जमालि के साथ कर दिया गया। राजकुमार वर्धमान स्वभाव से ही वैराग्यशील और एकान्तप्रिय थे। उन्होंने मातापिता के आग्रह से ही गृहवास स्वीकार किया । जब भगवान महावीर २८ वर्ष के हुए तब उनके माता-पिता का स्वर्गवास होगया। मातापिता के स्वर्गवास के बाद भगवान ने अपने बड़े भ्राता नन्दिवर्द्धन से कहा-भाई ! अब मैं दीक्षा लेना चाहता हूँ। नन्दिवर्धन ने कहा-भाई ! घाव पर नमक न छिड़कों । अभी मातापिता के वियोग का दुःख तो भूले ही नहीं कि तुम भी मुझे छोड़ने की बात करने लगे। जबतक हमारा मन स्वस्थ न हो जाय तब तक के लिये घर छोड़ने की बात मत करो। - भगवान महावीर ने कहा-तुम मेरे बड़े भ्राता हो अतः तुम्हारी आज्ञा का उल्लंघन करना उचित नहीं किन्तु गृहवास में रहने की मेरी भवधि बतादो। - नन्दिवर्धन-भाई ! कम से कम दो वर्ष तक । ___ वर्धमान ने कहा-अच्छा पर आज से मेरे लिये कुछ भी आरंभ समारंभ मत करना । नन्दिवर्धन ने भगवान की बात मानली । भगवान महावीर गृहस्थवेष में रहकर भी त्यागमय जीवन बिताने लगे। वे अचित गरम पानी पीते थे। निर्दोष भोजन ग्रहण करते थे । रात्रि को वे कभी नहीं खाते थे । जमीन पर सोते थे और ब्रह्मचर्य का पालन करते थे। . .
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy