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________________ आगम के अनमोल रत्न धर्मदेशना दी। धर्मदेशना सुनकर अनेक नर नारियों ने भगवान के पास दीक्षा ग्रहण की। देशना के प्रभाव से इन्द्रादि १४ गणधर हुए। भगवान के शासन में वरुण नामक शासन देव एवं नरदत्ता नाम की शासन देवी हुई। एक बार भगवान विहार करते हुए भृगुकच्छ , पधारे। वहाँ जितशत्रु राजा राज्य करता था। भगवान का समवशरण हुआ। देशना सुनने के लिये जितशत्रु राजा घोड़े पर चढ़कर भाया । राजा अन्दर गया। घोड़ा बाहर खड़ा रहा । घोड़े ने भी कान ऊँचे कर प्रभु का उपदेश सुना । उपदेश समाप्त होने पर गणधर ने भगवान से पूछाइस समवशरण में किसने धर्म प्राप्त किया ? प्रभु ने उत्तर दिया-जितशत्रु राजा के घोड़े ने धर्म प्राप्त किया है। जितशत्रु-राजा ने पूछायह घोड़ा कौन है और उसकी आपके धर्म के प्रति श्रद्धा कैसे हुई उत्तर में भगवान ने घोड़े के पूर्व जन्म का वृत्तान्त सुनाया। घोड़े के पूर्वजन्म को सुनकर राजा ने घोड़े को मुक्त कर दिया । . ___भगवान ने वहाँ से विहार कर दिया । वे हस्तिनापुर पधारे । वहाँ कार्तिक नाम का श्रावक श्रेष्ठी रहता था। वह , अपने धर्म, पर अत्यन्त दृढ़ था। अपने देव गुरु धर्म के सिवाय वह किसी के भी सामने नहीं झुकता था। एक बार उस नगर में भगवावस्त्रधारी, सत्यासी आया। उसने अपने पाखण्ड से लोगों पर अच्छा प्रभाव जमाया । वह , मासोपवासी था। महिने के पारणे के अवसर पर नगर के सभी प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने संन्यासी को निमंत्रित किया । ., सम्यक्त्वधारी श्रावक होने से कार्तिक सेठ ने सन्यासी, को आम त्रिन नहीं किया, और न उपदेश- सुनने के लिये उसके पास गया । कार्तिक सेठ की इस धार्मिक दृढ़ता पर वह अत्यन्त क्रुद्ध हुआ-। उसने कार्तिक सेठ को हर प्रकार से. अपमानित करने का निश्चय किया । वह इसके लिये उपयुक्त अवसर की खोज करने लगा।" [...]
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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