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________________ तीर्थकर चरित्र .. उनमें मानन्द भादि-८१ गणधर मुख्य थे । भगवान की देशना समाप्त होने पर भानन्द गणधर ने उपदेश दिया । भगवान ने चार तीर्थ की स्थापना की। - भगवान के शासन का अधिष्ठायक ब्रह्मयक्ष और अशोका नाम की देवी अधिष्ठायिका हुई । भगवान शीतलनाथ ने विशाल साधु साध्वी परिवार के साथ अन्यत्र विहार कर दिया । तीन मास कम पच्चीस हजार वर्ष तक केवल अवस्था में भगवान पृथ्वी को पावन करते रहे । अपना निर्वाण काल समीप जान कर प्रभु समेतशिखर पर पधारे । वहाँ एक हजार मुनियों के साथ अनशन ग्रहण किया । एक मास के अन्त में वैशाख कृष्ण द्वितीया के दिन पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में अवशेष कर्मों को खपा कर भगवान हजार मुनियों के साथ मोक्ष में पधारे । इन्द्रों ने भगवान का देह संस्कार किया। * , भगवान के परिवार में एक लाख मुनि, एक लाख छह हजार साध्वियां, १४०० 'चौदह पूर्वघर, सात हजार दो सौ भवधिज्ञानी, साढे सात हजार मनःपर्ययज्ञानी, सात हजार केवलज्ञानी, बारह हजार वैकियलब्धिवाले, पाँच हजार आठ सौ वाद लन्धिवाले, दो लाख नवासी हजार श्रावक एवं चार लाख अट्ठावन हजार श्रादिकाएँ थीं। . - भगवान ने कुमारावस्था में पच्चीस हजार पूर्व, राजत्वकाल में पचास हजार पूर्व, दीक्षा पर्याय में पच्चीस हजार पूर्व व्यतीत किये। इस प्रकार भगवान की कुल आयु एक लाख पूर्व की थी। - भगवान सुविधिनाथ के निर्वाण के पश्चात् नौ काटि सागरोपम बीतने पर भगवान शीतलनाथ मोक्ष में पधारे । ११. भगवान श्रेयांसनाथ ___ पुष्कराई द्वीप के पूर्व विदेह में कच्छ विजय के अन्दर 'क्षेमा' नाम की नगरी थी वहाँ 'नलिनीगुल्म' नाम का तेजस्वी एवं पराक्रमी राजा था ।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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