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________________ (६५) अकालवर्ष-अमोघवर्षके पश्चात् उनका पुत्र अकालवर्ष जिसको कि 'द्वितीयकृष्ण ' भी कहते हैं, सार्वभौम सम्राट् हुआ था, जैसा कि द्वितीय कर्कराजके दानपत्रमें अमोघवर्षका वर्णन करनेके पश्चात् लिखा है: तस्मादकालवर्षोऽभूत्सार्वभौमक्षितीश्वरः। यत्मतापपरित्रस्तो व्योम्नि चन्द्रायते रविः ॥ . परन्तु अकालवर्षका राज्यकाल शक ८११-८३३ तक निश्चित् किया गया है। इससे मालूम होता है कि अमोघवर्ष और अकालवर्षके. वीचमें १०-११ वर्ष तक किसी दूसरे राजाने राज्य किया है, और वह वहुत करके अमोघवर्षका पितृन्य (काका ) इन्द्रराज था, जैसा कि ध्रुवराजके दानपत्रके निम्नलिखित श्लोकसे विदित होता है राजाभूत्तपितृव्यो रिपुभवाविभवोद्भूत्यभावैकहेतुलक्ष्मीवानिन्द्रराजो गुणिनृपनिकरान्तश्चमत्कारकारी । रागादन्यान्व्युदस्य प्रगटितविषया यं नृपान्सेवमाना E. राज्यश्रीरेव चक्रे सकलकविजनोगीततथ्यस्वभावम् ।। शायद अमोघवर्षके राज्य त्याग करनेके समय अकालवर्ष वालक था, इस कारण राज्यका कार्य इन्द्रराज देखता होगा और इसीलिये अमोघवर्षके पश्चात् कहीं इन्द्रराजको और कहीं अकालवर्षको राजा माना है। ... अकालवर्ष.भी अपने पिताके समान. वड़ा भारी वीर और पराक्रमी 2: १. इन्द्रराजकी सन्तानने गुजरात देशमें राष्ट्रकूटवंशका एक शाखाराज्य स्थापित किया था।
SR No.010770
Book TitleVidwat Ratnamala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Mitra Karyalay
Publication Year1912
Total Pages189
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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