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________________ . (१४३). · · लक्ष्मीवासे वसति कटके कगातीरभूमौ ___कामावाप्तिप्रमदसुलभे सिंहचक्रेश्वरस्य । · निष्पन्नोऽयं नवरससुधास्यन्दसिन्धुमवन्धो जीयादुच्चैर्जिनपतिभवप्रक्रमकान्तपुण्यः ॥६॥ पिछले दो पद्योंसे यह भी मालूम होता है कि पार्श्वनाथचरितकी रचना जयसिंह. महारानके राज्य कालमें उनकी राजधानीमें हुई थी। यह सुन्दर राजधानी कट्टगा नामक नदीके किनारे थी। ___ इतिहासका पर्यवेक्षण करनेसे जाना जाता है कि, ये जयसिंह महाराज चौलुक्यवंशमें हुए हैं। पृथिवीवल्लभ, महाराजाधिराजा . परमेश्वर, चालुक्यचक्रेश्वर, परमभट्टारक और नगदेकमल्ल आदि इन की उपाधियां थीं । इनके वंशमें जयसिंह नामके एक और राजा 'हो गये हैं, इसलिये इन्हें द्वितीय जयसिंह कहते हैं । इनके राज्य समयके ३० से अधिक शिलालेख और ताम्रपत्र मिलते हैं, परन्तु उनसे इस बातका पता नहीं लगता कि इनका राज्यभिषेक कब हुआ था। उक्त लेखोंमें सबसे पहला लेख शक संवत् ९३८ का और सबसे पिछला शक संवत् ९६४ का है, जिससे इतना तो निर्विवाद सिद्ध होता है कि उन्होंने कमसे कम शक संवत् ९३८ से ९६४ तक राज्य किया है । इसके बाद उनका पुत्र सोमेश्वर ( आहवमल्ल ) उनके राज्यका स्वामी हुआ था। १. यह कट्टगानदी कहां है और जयसिंहकी राजधानी कहां थी. यह मालूम . . नहीं । जयसिंहके पुत्र सोमेश्वर प्रथमने तो अपनी राजधानी कल्याणनगर ' (निजामराज्यके अन्तर्गत कल्याणी ) में स्थापित की थी।
SR No.010770
Book TitleVidwat Ratnamala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Mitra Karyalay
Publication Year1912
Total Pages189
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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