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________________ 'अर्काट निलेके [ South Arcot District ] अन्तर्गतं समझा जाता है। इसके. सिवाय यह भी सुना जाता है कि कर्नाटकी वा द्राविड़भाषामें भी इनः महात्माओंने कई ग्रन्थोंकी रचना की है। इससे भी (नाना जाता है कि, ये कर्नाटक वा द्राविडदेशवासी होंगे। : हिन्दीपद्यमें एक ज्ञानप्रबोध नामका ग्रन्थ है, उसमें खंडेलवाल जातिकी उत्पत्तिके प्रकरणमें लिखा है कि, जिनसेनस्वामी पहले खंडेलानगरके राजा थे। परन्तु इस वातपर विश्वास नहीं किया जा सकता है। क्योंकि एक तो ज्ञानप्रबोधके कर्त्ताके कथनके सिवाय इस विषयमें और किसी प्राचीन ग्रन्थका प्रमाण नहीं है, दूसरे उन्होंने जो कुछ लिखा है, उसीपर थोडासा विचार करनेसे साफ मालूम हो जाता हैं कि यह केवल कपोलकल्पना हैं | देखिये, ज्ञानप्रबोधके थोड़ेसे पद्य हम वहांपर उद्धृत करते हैं:-- - राजा छौ मौटी भलौ, नाम सही जिनसेन । ' • खंडेलापुरको धणी, गुणपूरणको केन [?] ॥ ९॥ 'अपराजित मुनिके निकट, दीक्षा ले धरि भाव । आचारज जिनसेन तो, भये पुण्यपरभाव ॥ १० ॥ 'चेला होया पांचस, गुणभद्दर सिरदार । बुद्धि क्रियाका जोरत, आचारज़पदधार ॥ ११ ॥ थापी किरिया देशमें, पंचमकाल प्रमान । सिद्ध भई चक्रेश्वरी, होत भयो है मान ॥ १२ ॥ खंडेलामें जो बसें, आसपासके गाम । · सब ही श्रावक हो गये, गामतणूं धरि नाम ।। १३ ।।
SR No.010770
Book TitleVidwat Ratnamala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Mitra Karyalay
Publication Year1912
Total Pages189
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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