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________________ (९३ ) अपनी राजधानी वनाई थी । उसी समय अर्थात् संवत् १२४९ (ई. सन् ११९३ ) में उसने अजमेरको अपने आधीन करके वहांके लोगोंकी कतल कराई थी और इसी साल वह अपने एक सरदारको हिन्दुस्थानका सारा कारभार सोप करके गजनीको लौट गया था। इसके पश्चात् सन् ११९४ और ९५ में हिन्दुस्थानपर उसकी छठी और सातवीं चढ़ाई और भी हुई थी । छठी चढाईमें उसने कन्नोज फ़तह की थी। और सातवींमें दिल्ली, गवालियर, “बुन्देलखंड, विहार, बंगाल, और गुजरात प्रदेश उसने अपने राज्यमें 'मिला लिये थे। फिर सन् १२०२ में वह ग्यासुद्दीनगोरीके मरनेपर गजनीके तख्तपर बैठा था, और सन् १२०६ में सिंध नदीके किनारे उसे गक्कर जातिके जंगली लोगोंने मार डाला था। इससे मालूम पड़ता हैः कि, शहाबुद्दीन गोरीने पृथ्वीराज चौहानसे 'दिल्लीका सिंहासन छीनते ही अजमेरपर धावा किया होगा। क्योंकि अजमेर पृथ्वीरानके ही अधिकारमें था और उसी समय अर्थात् 'सन् ११९३ ईस्वीमें सपादलक्षदेश शहाबुद्दीनके अत्याचारोंसे व्याप्त हो गया होगा । यही समय पंडितप्रवर आशाधरके मांडलगढ़ छोडकर धारा नगरीमें आनेका निश्चित होता है। ___ मांडलगढ़से धारानगरीमें आ वसनेके पश्चात् पंडित आशाध रेने एक महावीर नामके प्रसिद्ध पंडितसे जैनेन्द्रप्रमाण और जै+ ,नेन्द्रव्याकरण इन दो ग्रन्थोंका अध्ययन किया । आशाधरके गुरु पं० महावीर, वादिराज पंडित धरसेनके शिष्य थे। प्रसिद्ध विद्या
SR No.010770
Book TitleVidwat Ratnamala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Mitra Karyalay
Publication Year1912
Total Pages189
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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