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________________ चउत्थी गणिसंपया दसा: चौथी गणिसम्पदा दशा सूत्र १ इह खलु थेरेहिं भगवतेहि अट्टविहा गणि-संपया पण्णता। इस आहेत प्रवचन में स्थविर भगवन्तों ने आठ प्रकार की गणि-सम्पदा कही है ? सत्र २ प्र०- कयरा खलु ता थेरेहिं भगवतेहि अट्टविहा गणि-संपया पण्णता ? उ०-इमा खलु ता थेरेहिं भगवतेहि अट्टविहा गणि-संपया पण्णत्ता; तं जहा१ आयार-संपया २ सुय-संपया ३ सरोर-संपया ४ वयण-संपया ५ वायणा-संपया ६ मइ-संपया ७ पओग-संपया ८ संगह-परिणाणामं अट्ठमा । प्रश्न-हे भगवन् ! वे कौन-सी आठ प्रकार की गणि-सम्पदा कही हैं ? उत्तर वे ये आठ प्रकार की गणिसम्पदा कही हैं । जैसे१ आचारसम्पदा, २ श्रतसम्पदा, ३ शरीरसम्पदा, ४ वचनसम्पदा, ५ वाचनासम्पदा, ६ मतिसम्पदा, ७ प्रयोगसम्पदा, ८ संग्रहपरिज्ञासम्पदा । सूत्र ३ प्र०-से कि तं आयार-संपया ? उ०-आयार-संपया चन्विहा पण्णत्ता, तं जहा१ संजम-धुव-जोग-जुत्ते यावि भवइ, २ असंपग्गहिय-अप्पा, ३ अणियत-वित्ती, ४ वुड्ढ-सोले यावि भवइ । से तं आयार-संपया। (१)
SR No.010768
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1977
Total Pages203
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size6 MB
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