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________________ आयारदसा ११ (निर्बल से छीनकर लाया हुआ) या अनिसृष्ट (विना आज्ञा के लाया हआ) या आहुत्य दीयमान (साधु के स्थान पर लाकर के दिया हुआ) आहार को खाने वाला शबल दोषयुक्त है। ७ पुनः पुनः प्रत्याख्यान करके उसे (अशन-पानादि को) खाने वाला शबल दोषयुक्त है। ८ छह मास के भीतर ही एक गण से दूसरे गण में संक्रमण (गमन। ___ करने वाला शबल दोषयुक्त है। ६ एक मास के भीतर तीन बार (नदी आदि को पार करते हुए) उदक लेप (जल-संस्पर्श) करने वाला शबल दोषयुक्त है । १० एक मास के भीतर तीन वार मायास्थान (छल-कपट) करने वाला शबल दोषयुक्त है। ११ सागारिक (स्थान-दाता, शय्यातर) के पिंड (आहारादि) को खानेवाला शबल दोषयुक्त है। १२ जान-बूझ कर प्राणातिपात (जीव-धात) करने वाला शबल दोष युक्त है। १३ जान-बूझ कर मृषावाद (असत्य) बोलने वाला शबल दोषयुक्त है। १४ जान-बूझ कर अदत्त वस्तु को ग्रहण करनेवाला शबल दोपयुक्त है। १५ जान-बूझ कर अनन्तहित (सचित्त) पृथिवी पर स्थान (कायोत्सर्ग) या नपेधिक (अवस्थान और शयन, स्वाध्याय आदि) करने वाला शवल दोषयुक्त है। १६ इसी प्रकार (जानकर) सस्निग्ध (कर्दम-युक्त-कीचड़वाली) पृथ्वी पर ___ और सरजस्क (सचित्त रज-धूलि से युक्त) पृथ्वी पर स्थान, अवस्थान, शयन एवं स्वाध्याय आदि करने वाला शवल दोपयुक्त है। १७ इसी प्रकार जानकर सचित्त शिला पर, सचित्त पत्थर के ढेले पर, धुने हुए काठ पर, या जीव-युक्त काठपर, तथा अण्ड-युक्त द्वीन्द्रियादि जीवयुक्त, वीज-युक्त, हरित तृणादि युक्त, ओस-युक्त, जल-युक्त, पिपीलिकानगर युक्त, पनक (शेवाल) युक्त जल और मिट्टी पर, मकड़ी के जाले युक्त स्थान पर, तथा इसी प्रकार जहां जीव-विराधना की सम्भावना हो ऐसे स्थान पर कायोत्सर्ग, आमन, शयन और स्वाध्याय करने वाला शवल दोप-युक्त है।
SR No.010768
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1977
Total Pages203
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size6 MB
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