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________________ छेदसुत्ताणि पढमंणियाणं सूत्र २२ एवं खलु समणाउसो ! मए धम्मे पण्णत्ते, तं जहा-इणमेव निगथे पावयणे, सच्चे, अणुत्तरे, पडिपुण्णे, केवले, संसुद्धे, णेआउए, सल्लकत्तणे, सिद्धिमग्गे, मुत्तिमग्गे, निज्जाणमग्गे, निव्वाणमग्गे, अवितहमविसंदिद्धे, सव्व-दुक्खप्पहीणमगे। इत्यं ठिया जीवा, सिमंति, बुझंति, सुच्चंति, परिनिन्वायंति, सम्वदुक्खाणमंतं करेंति । जस्स णं धम्मस्स निग्गथे सिक्खाए उवट्ठिए विहरमाणे, पुरा दिगिच्छाए, पुरा पिवासाए, पुरा सीताऽऽतहिं पुरा पुढेंहिं विरूवरूवेहि परीसहोवसग्गेहि उदिण्णकामजाए यावि विहरेज्जा, से य परक्कमेज्जा। से य परक्कममाणे पासेज्जाजे इमे उग्गयुत्ता महा-माउया भोगपुत्ता महा-माउया तेसि णं अण्णयरस्स अतिजायमाणस्स वा निज्जायमाणस्स वा पुरओ महं दासी-वास-किकर-कम्मकर-पुरिसपदाति-परिक्खित्तं, छतं भिंगारं गहाय निग्गच्छंतं; तयाणंतरं च णं पुरओ महामासा आसवरा, उभओ तेसि नागा नागवरा, पिट्टओ रहा रहवरा रहसंगल्लि, से तं उद्धरिय-सेय-छत्ते, अब्भुगये भिंगारे, पग्गहिय तालियंटे, पवीयमाण सेय-चामर-बालवीयणीए, अभिक्खणं अभिक्खणं अतिजाइ य निज्जाइ य; सप्पभा सपुव्वावरं च णं, व्हाए, कय-बलिकम्मे जाव-सव्वालंकारविभूसिए, महति महालियाए कूडागारसालाए, महति महालयंसि सिंहासणंसि जाव
SR No.010768
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1977
Total Pages203
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size6 MB
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