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________________ ११६ छेदसुत्ताणि सूत्र ५८ प्र०-से कि तं सिणेह-सुहुने ? उ० -सिणेह-सुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा१ उस्सा, २ हिमए, ३ महिया, ४ करए, ५ हरतणुए । जे छउमत्येण निग्गंथेण वा, निग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियब्वे पासियत्वे पडिलेहियध्वे भवइ । से तं सिणेह-सुहुमे । (८) ८/५८ प्र०-हे भगवन् ! स्नेह-सूक्ष्म किसे कहते है ? उ०—स्नेह-सूक्ष्म पांच प्रकार के कहे गये हैं, यथा-- १ ओस-सूक्ष्म-ओस बिन्दुओं के जीव । २ हिम-सूक्ष्म-बर्फ के जीव । ३ महिका-सूक्ष्म=कुहरा, धुंअर आदि के जीव । ४ करक-सूक्ष्म=ओला आदि के जीव । ५ हरित-तृण-सूक्ष्म हरे घास पर रहने वाले जीव । ये स्नेह सूक्ष्म जीव छद्मस्थ निर्गन्थ-निर्गन्थियों के बार-बार जानने योग्य, देखने योग्य और प्रतिलेखन योग्य हैं। स्नेह-सूक्ष्म वर्णन समाप्त । गुर्वनुज्ञया विहरणादि कर्तव्यरूपा सप्तदशी समाचारी सूत्र ५६ ___ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा गाहावइकुलं भत्ताए वा, पाणाए वा, निक्खमित्तए वा, पविसित्तए वा। नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता १ आयरियं वा, २ उवज्झायं वा, ३ थेरं वा, ४ पवत्तयं वा, ५ गणि वा, ६ गणहरं वा, ७ गणावच्छेअयं वा, जं वा पुरओ काउं विहरइ । कप्पइ से आपुच्छिउँ १ आयरियं वा, २ उवज्झायं वा, ३ थेरं वा, ४ पवत्तयं वा, ५ गणि वा, ६ गणहरं वा, ७ गणावच्छेअयं वा, जं वा पुरओ काउं विहरइ-"इच्छामि णं भंते । तुर्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे गाहावइकुलं भत्ताए वा, पाणाए वा, निक्खमित्तए वा, पविसित्तए वा ?" ते य से वियरेज्जा; . . एवं से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए . वा, पाणाए वा, निक्खमित्तए वा, पविसित्तए वा।
SR No.010768
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1977
Total Pages203
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size6 MB
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