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________________ P ११४ प्र० - हे भगवन् ! हरित सूक्ष्म किसे कहते हैं ? उ०- हरित सूक्ष्म पाँच प्रकार के कहे गये हैं, यथा १-५ कृष्ण वर्ण वाले यावत् शुक्ल वर्ण वाले । ये हरित सूक्ष्म हरे पत्तों पर पृथ्वी के समान वर्ण वाले होते हैं । ये हरित सूक्ष्म छद्मस्य निर्ग्रन्य-निर्ग्रन्थियों के वार-चार जानने योग्य, देखने योग्य और प्रतिलेखन योग्य हैं । सूत्र ५५ हरित - सूक्ष्म वर्णन समाप्त । प्र०—से कि तं पुप्फसुहुमे ? उ० -- पुप्फसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा १ किण्हे, २ नीले, ३ लोहिए, ४ हालिदे, ५ सुक्किल्ले । अत्थि पुप्फसुहमे रुक्खसमाणवण्णे नामं पण्णत्ते, जे उमत्येण निग्गंथेण वा, निग्गंथोए वा अभिवखणं अभिक्खणं जाणियव्वे पासियन्वे पडिलेहियन्त्रे भवइ । से तं पुप्फसुहुमे । (५) 1८/५५ प्रo हे भगवन् ! पुष्प - सूक्ष्म किसे कहते हैं ? - उ०- पुष्प- सूक्ष्म पाँच प्रकार के कहे गये हैं, यथा१-५ कृष्ण वर्ण वाले यावत् शुक्ल वर्ण वाले । ये पुष्प-सूक्ष्म जीव फूलों में वृक्ष के समान वर्ण वाले सूक्ष्म जीव छद्मस्य निर्ग्रन्य-निर्ग्रन्थियों के वारम्वार जानने और प्रतिलेखन योग्य हैं । ८-५४ सूत्र ५६ छेदसुत्ताणि पुष्प - सूक्ष्म वर्णन समाप्त । "I प्र० - से कि तं अंडसुहुने ? उ०- अंडसहमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा -' होते हैं । ये पुष्पयोग्य, देखने योग्य १ उद्दंडे, २ उक्कलियंडे, ३ पिपीलिंअंडे, ४ हलिअंडे, ५ हल्लो हलि अंडे । 'जे छडमत्येण निग्गंयेण वा, निग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियव्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ । से तं अंडसुहुमे । (६) ८ / ५६
SR No.010768
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1977
Total Pages203
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size6 MB
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