SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११२ छेवसुत्ताणि सूत्र ५१ प्र०-से कि तं पाणसुहमे ? उ०-पाणसुहमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा१ किण्हे, २ नीले, ३ लोहिए, ४ हालिद्दे, ५ सुक्किल्ले । अत्यि कुंथु अणुद्धरी नामं जा ठिया अचलमाणा छउमत्थाण निग्गंथाण वा, निग्गंथीण वा नो चक्खुफासं हव्वमागच्छइ । जा अठिया चलमाणा छउमत्थाण निग्गंथाण वा, निग्गंथीण वा चक्खुफासं हव्वमागच्छई। जा छउमत्थेण निगंथेण वा, निग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियन्वा पासियव्वा पडिलेहियन्वा हवइ । से तं पाणसुहुमे ।(१) ८/५१ प्र०-भगवन् ! प्राणि-सूक्ष्म किसे कहते हैं ? उ०-प्राणि-सूक्ष्म पांच प्रकार के कहे गये हैं, यथा-१. कृष्ण वर्ण वाले, २. नील वर्ण वाले, ३. लाल वर्ण वाले, ४. पीत वर्ण वाले, ५. शुक्ल वर्ण वाले । सूक्ष्म कुंथुए (पृथ्वी पर चलने वाले द्वीन्द्रियादि सूक्ष्म प्राणी) यदि स्थिर हों चलायमान न हों, छमस्थ निर्गन्थ-निर्ग्रन्थियों को शीघ्र दृष्टि गोचर नहीं होते हैं। सूक्ष्म कुंथुए यदि अस्थिर हों, चलायमान हों तो छमस्थ निर्ग्रन्थ-निर्गन्थियों को शीघ्र दृष्टिगोचर हो जाते हैं । ये प्राणी-सूक्ष्म छद्मस्थ निर्गन्थ-निर्गन्थियों के बार-बार जानने योग्य, देखने योग्य और प्रतिलेखन योग्य हैं । प्राणि-सूक्ष्म वर्णन समाप्त । सूत्र ५२ प्र०-से कि तं पणगसुहुने ? उ०-पणगसुहुमे पंचविहे पण्णते, तं जहा१ किण्हे, २ नीले, ३ लोहिए, ४ हालिद्दे, ५ सुक्किल्ले । अत्थि पणगसुहुमे तद्दव्वसमाणवण्णे नामं पण्णत्ते । जे छउमत्येण निग्गंथेण वा, निग्गंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियग्वे पासियव्वे पडिलेहियब्वे भवइ । से तं पणगसुहुमे। (२) ।८/५२ प्र०-भगवन् ! पनक सूक्ष्म किसे कहते हैं ? उ.--पनक सूक्ष्म पाँच प्रकार के कहे गए हैं, यथा१-५ कृष्ण वर्ण वाले यावत् शुक्ल वर्ण वाले ।
SR No.010768
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1977
Total Pages203
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy