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________________ 65 11 सूत्र-संख्या (v) वर्तमान का देखने वाला बनना : (vi) जीवन-विकास का माप-दण्ड : 66 (दूसरी और तीसरी पंक्ति) 5. जागृत मनुष्य की अवस्था (i) जागृति के मार्ग पर चलते हुए लोक-प्रशंसा 73 के आकर्षण से दूर रहना : (ii) जागृति के मार्ग पर चलने से चित्त का 68 सुन्दर होना : (iii) जागृत व्यक्ति के लक्षण : (क) उपदेश सुनने की आवश्यकता नहीं : 38 (ख) कोई नाम नहीं होता : (ग) 'वीर' संज्ञा को प्राप्त होना: 20, 54 (घ) लोक प्रचलित आचरण का होना 55 आवश्यक नहीं : (च) ममाज व व्यक्ति के लिए प्रकाश स्तंभ : 50, 47 () विकल्पों से परे हो जाना : 50 (ज) 'सरल' होना : 54, 75 (क) आश्रित होना : 100 (प) द्वन्द्वातीत होना और समता में स्थित 56,25,31, होना : 92 (फ) अनुभव अपरिवर्तनशील : 47,64 (क) पूर्ण जागरूक व अप्रमादी: 49,51,84 (भ) अनुपम प्ररामना में रहना : (त) इन्द्रियों के विषयों का द्रष्टा : 52 (थ) लोक कल्याण में संलग्न : 58 नगनिया ] 161
SR No.010767
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages199
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Grammar, & agam_related_other_literature
File Size5 MB
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