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________________ 4. (vii) जागृत व्यक्ति के दर्शन से : जीवन - विकास के सूत्र (i) अन्तर्यात्रा या वाह्य यात्रा से आगे बढना, यात्रा के लिऐ संकल्प की हढ़ता, त्याग का ग्रहण (ii) अन्तर्यात्रा के लिए श्रद्धा की आवश्यकता : (iii) बाह्य यात्रा के लिए संशय की आवश्यकताः (iv) व्यक्तित्व को बदलने के सूत्र : 160 ] सूत्र संख्या 93 24, 69 ( प्रथम पंक्ति ) ; 19, 33. 32, 92, 96, 99 83 (क) दार्शनिक तथा वैज्ञानिक के लिए 68, 59 ( सत्य को समझना ) : (ख) मनोवैज्ञानिक के लिए ( श्रासक्ति के फल को देखना) (ग) अल्प बुद्धिवाले के लिए ( एक को समझना ) : (घ) विस्तार - बुद्धि वाले के लिए ( बहुत को समझना ) 57, 40 ( अन्तिम पंक्तियाँ) 69 (चौथी पंक्ति) एवं (ग्राठवीं पंक्ति) 69 (चौथी पंक्ति) एवं (आठवीं पंक्ति) (च) बुद्धिमान व्यक्ति के लिए : 39 (छ) व्यवसायी के लिए : 42 (ज) सामान्य व्यक्ति के लिए : 66 (झ) सदैव सुविधाओं में डूबने वाले के लिए : 87 ( प ) खोजी के लिए : 50 (फ) मानसिक तनाव में जीने वाले के लिए : 64 (a) द्रष्टाभाव के अभ्यासी के लिए : (भ) पशु जीवन में प्रवृत्त के लिए: 62, 63 41, 67 [ आचारांग
SR No.010767
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages199
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Grammar, & agam_related_other_literature
File Size5 MB
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