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________________ के= क्या ? इमो= इस लोक से। चुते = अलग हुआ । वा= या पेच्चा= आगामी जन्म में । भविस्सामि= होऊंगा। 2. से ज्ज' =से (त) 1/1 सवि पुण (अ) = इसके विपरीत जाणेज्जा स्वाथिक'य' (जाण) व 3/1 सक सहसम्मुइयाए [(सह) वि-(सम्मुइ---- स्त्रा सम्मुइय---सम्मुइया) 3/1] परवागरणेणं [(पर) वि-(वागरण) 3/1] अण्णेसि (अण्ण) 6/2 वि वा (अ) अथवा अंतिए (अंतिम) 7/1 वि सोच्चा (सोच्चा) संकृ अनि 2. से ज्जं = वह । पुण= इसके विपरीत । जाणेज्जा = जान लेता है। सहसम्मुइयाए = स्वकीय स्मृति के द्वारा। पर वागरणेणं = दूसरों के कथन के द्वारा । अपरणेसि= दूसरों के । वा=अथवा। अंतिएसमीप में । सोच्चा=सुनकर । 3. से (त) 1/1 सवि पायावादी [(आया )-(वादी) 1/1 वि) लोगावादी [(लोगा)-(वादि) 1/1 वि] फम्मावादी [(कम्मा )-(वादि) 1/1 वि किरियावादी [(किरिया)-(वादि)1/1 वि] 3. से= वह । पायावादी आत्मा को माननेवाला । लोगावादी लोक को मानने वाला । फम्मावादी= कर्म-(वन्धन) को मानने वाला। किरियावादी क्रियाओं को मानने वाला। 4. अपरिण्णायकम्मे [(अपरिण्णाय) वि-(कम्म) 1/1] खलु (म)= सचमुच अयं (इम) 1/1 सवि पुरिसे (पुरिस) 1/1 जो (ज) 1/1 सवि इमानो (इमा) 5/2 सवि दिसाप्रो (दिसा) 5/2 वा (अ)= या अणुदिसानो (अणुदिसा) 5/2 अणुसंचरति (अणुसंचर व 3/1 1. पिशल : प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ, 623 । 2. समासगत शब्दों में रहे हुए स्वर ह्रस्व के स्थान पर कभी-कभी दीर्घ हो जाते हैं । (हेम प्राकृत व्याकरण : 1-4) 80 ] [ प्राचारांग
SR No.010767
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages199
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Grammar, & agam_related_other_literature
File Size5 MB
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