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________________ नामके अनेक आचार्य हुए है । उनमें श्रीवादिचन्द्रसूरिके गुरु कौन है, इसका निर्णय विना उनके ग्रन्थोंके देखे नहीं हो सकता है। तो भी अनुमानसे कह सकते हैं कि, हरिवंशपुराणपंजिका, 'पद्मपुराणपंजिका, अकलंककथा, सिद्धचक्रपूजा, प्रतिष्ठायाठ, रोहिण्युद्यापन आदि ग्रन्थोंके कर्ता जो विक्रम संवत् १५८० में हुए है, वे ही ज्ञानसूर्योदयकर्ताके गुरु होंगे । क्योंकि वादिचन्द्रके समयसे उनके समयकी जितनी निकटता है, उतनी दूसरे प्रभाचन्द्रोंकी नहीं है। __ज्ञानसूर्योदय नामका एक नाटक कनकसेन अथवा कनकनन्दि नामक कविका बनाया भी है। परन्तु वह प्राकृत भाषामें है। क्या आश्चर्य है, जो उक्त प्राकृत ग्रन्थ ही श्रीवादिचन्द्रसू(रिके द्वारा संस्कृतम अनुवादित हुआ हो । ज्ञानभानूदय, ज्ञानाकौदय नामके और भी दो तीन नाटकोंका रिपोर्टोसे पता लगता है, जिससे भ्रम होता है कि, गायद वे भी इसी विषयके नाटक है।
SR No.010766
Book TitleGyansuryodaya Natak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1909
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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