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________________ उनसे ही देवद्रव्य की वृद्धि होती हैं और बहुत मंदिरों में पूजा आरतीकी सामग्री व पुजारी नौकरं वगैरहके खर्च तथा भगवान्के आभूषण, मंदिरों का जीर्णोद्धारादि कार्य चलते हैं. येही देवद्रव्य की आवक के मुख्य साधन हैं. उनसे ही बहुत शहरों में और गांवडों में भगवान् की पूजा आरती के काम चलते हैं. जैन समाज में बहुत से लोगं स्थानकवासी व तेरापंथी हो जाने से बहुत मंदिरों में पूजा आरती नहीं होती; बडी भारी. आशातना हो रही है अगर यह देवद्रव्य की आवक का साधन भी बंध हो जावे तो जिन जिन मंदिरों में. इस साधनसे सेवा पूजा व जीर्णोद्धारादिक के काम चलते हैं उन उन मंदिरों में भी पूजा सेवा आरती जीर्णोद्धारादि काम रुक जायगे और भगवान् की. आशातना का वडा भारी अनर्थ खडा हो जावेगा. और जान बूझ करः प्रत्यक्ष में देवद्रव्यंकी आवक का भंग करनेवालेको व देवद्रव्य के भक्षण करने वालेको श्राद्धविधि, आत्मप्रबोध वगैरह शास्त्रों में अनंत संसारी मिथ्यात्वी कहा है. खास.विजयधर्मः सूरिजी एक जगह लिखते हैं कि-पूजा- आरती वगैरह के चढावे का रिवाज मंदिरों की रक्षाके लिये गीतार्थ पूर्वाचार्योंने और संघने मिलकर ठहराया है. दूसरी जगह · फिर लिखते हैं किपूजा आरती के चढावे के रिवाज को शुरू करनेवाले पूर्वाचार्यों की मैं बार बार प्रशंसा करता हूं.. तीसरी जगह लिखते हैं कि भगवान् की . भक्तिके लिये भले (, अच्छे.) नवे नवे उचित रिवाज स्थापन करो. चौथी जगह लिखते हैं कि-भगवान्का भक्त होकर भगवान्को अर्पण किया हुआ द्रव्य खाजावे यह तो देखीता. प्रत्यक्ष अन्याय है, पांचवी जगह लिखते हैं। कि १५ कर्मादानादि कुव्यापार वर्ज कर देवद्रव्यकी वृद्धि करना, (पूजा आरतीके चढावका रिवाज भगवान्की भक्ति, देवद्रव्यकी वृद्धि, भक्तोंका.. आत्मकल्याण करनेवाला व. १५ कर्मादानादि कुव्यापाररहितं और गीतार्थ . आचरणां से उचितहीं है, तो भी अबछडी जगह अपने कथन में पूर्वी..
SR No.010764
Book TitleDev Dravya ka Shastrartha Sambandhi Patra Vyavahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherMuni Manisagar
Publication Year1922
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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