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________________ विषय-सूची पत्रांक पृष्ठ पत्रांक प्रकाशकका निवेदन २५ परिग्रहका मर्यादित करना ३० प्रास्ताविक निवेदन २६ तत्व समझना राजचन्द्र और उनका संक्षिप्त परिचय १-४५ २७ यतना ३१-३२ १६ वर्षसे पहिले २८ रात्रिभोजन ३२ १ पुष्पमाला २९ सब जीवोंकी रक्षा (१) २ काल किसीको नहीं छोड़ता ( कविता ) ६-७ | ३० सब जीवोंकी रक्षा (२) ३ धर्मविषयक (कविता) | ३१ प्रत्याख्यान ३४-३५ १७वाँ वर्ष ३२ विनयसे तत्वकी सिदि है ४ मोक्षमाला.-१६|३३ सुदर्शन सेठ ३६-३७ १ वाचकको अनुरोध | ३४ ब्रह्मचर्यके विषयमें सुभाषित (कविता) ३७-३८ २ सर्वमान्यधर्म (कविता) ३५ नमस्कारमंत्र ३ कर्मका चमत्कार ११-१२ | ३६ अनुपूर्वी ४ मानवदेह १२-१३ ३७ सामायिकविचार (1) ४०-४१ ५ अनापी मुनि (१) ११३८ सामायिकविचार (२) ४१-४२ ६ अनाथी मुनि (२) १३-१५ ३९ सामायिकविचार (३) ४२-४३ ७ अनायी मुनि (३) |४० प्रतिक्रमणविचार ८ सदेवतस्व १५-१९४१ भिखारीका खेद (१) ४३-४४ ९ सद्धर्मतत्व १६-१७ | ४२ भिखारीका खेद (२) ४४-४५ १० सद्गुरुतत्व (.) | ४३ अनुपम क्षमा ११ सद्गुरुतस्व (२) | ४४ राग १२ उत्तम गृहस्थ १८-१९४५ सामान्य मनोरथ (कविता) ४६-४७ १३ जिनेश्वरकी भक्ति (1) १९-२०४६ कपिलमुनि (१) ४७-४८ १४ जिनेश्वरकी भक्ति (२) २०-२१४७ कपिलमुनि (२) ४८ १५ भक्तिका उपदेश (कविता) २. ४८ कपिलमुनि (३) ४९-५० १६ वास्तविक महत्ता २२ ४९ तृष्णाकी विचित्रता (कविता) ५०-५१ २२-२३ | ५. प्रमाद ५१-५२ १८ चारगति २३-२४ ५१ विवेकका अर्थ १९ संसारकी चार उपमायें (1) २४-२५ / ५२ शानियोंने वैराग्यका उपदेश क्या दिया। ५२-५३ २. संसारकी चार उपमायें (२) २५-२६ ५३ महावीरशासन ५३-५४ २१ बारह भावना २६ ५४ अशुचि किसे कहते हैं। २२ कामदेव भावक २०५५ सामान्य निस्यनियम। २३ सत्य २७-२८ | ५६ क्षमापना २४ सत्संग २८-२९ । ५७ वैराग्य धर्मका स्वरूप है * इस विषय-सूचीमें ग्रन्यके केरल मुख्य मुख्य विषयोंकी ही सची दी गई है। जिन अंकों पर * ऐसा चित है उन राजचन्द्रजीकी प्राइवेट गयरीके नोट्स (हाथोष) समझना चाहिये । १७ १८
SR No.010763
Book TitleShrimad Rajchandra Vachnamrut in Hindi
Original Sutra AuthorShrimad Rajchandra
Author
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1938
Total Pages974
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, N000, & N001
File Size86 MB
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