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________________ यावच्चा पुत्रनी कथा. (३७७) ले? शुं नगरीमा ३६ अग्रवा कार्तिक स्वामी विगेरे को देवतानो महोत्सव ने ? जेथी आ असंख्य माणसो नत्तम वस्त्रालंकारने धारण करता उता उतावला चालता गामीघोमा विगेरे वाहनोथी रेवताचल पर्वतना शिखर नुपर जाय ." मित्रोए संतोषधी का. “हे मित्र ! कानने सुखकारी वचन सांनल. मनुष्योने नत्साहवंत श्रश्ने जवाना कारणरुप श्री नेमिनाथ प्रत्नु अहिं समवसस्या.” मित्रोनां आवां वचन सांजली अति निर्मल नाववालो श्रावचा पुत्र, पोतानी समान वयवाला मित्रोनी साये म्होटी समृझ्यिी श्री जिनेश्वर पासेगयो. त्यां तेणे विधिथी नेमिनायने प्रदक्षिणापूर्वक नमस्कार करी योग्य आसने बेसीने धर्मोपदेश सांनल्यो. ते आ प्रमाणे. “निश्चे आ संसार जन्ममरणादिकनुं कारणज ने, ए खरेखर लोकरुढी . कारण जे संसारमा सुखनी नत्पत्तिने नाश करनारा असंख्य नवो थाय ने. अनंत कुःखश्री नरपुर एवा आ संसारमा परिणामे सुंदर मतिवालो सुखार्थी पुरुषज बहु श्रेयने श्छे , माटे हे नव्यजनो ! तमे नावथी फट जैन दीक्षारूप वहाण उपर चमी संसारनो निस्तार करवामां नद्यम करो.” जिनेश्वरनां मुखथी आवो सत्य धर्मोपदेश सांजली यावच्चा पुत्र पोताना मनमां व्रतनी नत्कंग धारवा लाग्यो. सन्ना नव्या पनी तेणे पोतानो चारित्र लेवानो निर्मल परिणाम श्री जिनेश्वरनी आगल कही संचलाव्यो. वली तेणे कयुं के, “त्रण लोकना हितकारी हे प्रत्तु! हुं ज्यां सुधीमां म्हारी मातानी रजा लइ अहिं आवं त्यांसुधी आपे अहिंज रहेवू.” प्रन्नुए कह्यु." हे पुण्यवंत! विलंब करीश नहि. कारण के, पोतानुं कल्याण करनारा पुरुषो, धर्मकार्यमां विलंब करता नथी." आवी जिनेश्वरना मुखरूप धराथी शिक्षारूप अमृतनुं पान करीने थावचा पुत्र तुरत अरिहंत प्रनुने नमस्कार करी रथमां बेसीने पोताना घरप्रत्ये गयो. त्यां ते मधुर वचनथी पोतानी माताने एवी रीते प्रबोध पमामवा लाग्यो के, तेणे तुरत पोताना पुत्रने दीदा लेवानी रजा आपी. पनी पोताना पुत्रने म्होटा नत्सवयी दिदा अपाववाने नुत्साहवंत श्रयेली थावञ्चा, श्री कृष्णनी पासे जश्ने सन्ना समक्ष आ प्रमाणे कहेवा लागी. "हे स्वामिन ! अति श्रेष्ठ ऐश्वर्य लक्ष्मीवालो म्हारो श्रावच्चा पुत्र नामनो पुत्र महोत्सवश्री वत्रीश दिव्य कन्यानने परण्यो , ते हवणां सान्नलवा योग्य श्री नेमिनान प्रानुना धर्मोपदे ४८
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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