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________________ कार्तिक शेनी कथा. (३३५) दछुण अन्नतिनिय-पराजवं जवजयान नविग्गो ॥. नेगमअठसहस्से-ण पमिवुमो कित्तिनसिही ॥३॥ . पवन मुणिसुवय-सामिसगास म्मि बारसंगविक ॥ . बारससमपरिआनं, सोहम्मे सुरवई जान ॥२३॥ अर्थ-अन्यतीनियोथी श्रयेला पोताना परान्नवने जोइ संसारना जयश्री नग पामेलो, एक हजारने आठ वणिक पुत्रो सहित श्रीमुनिसुव्रत स्वामी पासे दीक्षा लेनारो, हादशांगीनो अभ्यास करनारो अने बारवर्ष पर्यंत दीक्षा पर्यायवालो कार्तिक शेठ, सौधर्म देवलोकने विषे सुरपति (इं)थयो. २२-२३. पृश्न-चौदपूर्वधारीनो जघन्यथी पण लांतक देवलोकने विषे अवतार श्रवो जोइए-जेने माटे “ तमिव चनदपुविस्स" एवं प्रमाण आपेलुं ने उता आ कार्तिक शेठ, सौ धर्म देवलोकने विषे इंश केम थयो ? उत्तर-चौद पूर्वीना अभ्यासीनने पण प्रमादधी काश्क विसरी जवायी परिकर्म, सूत्र, पूर्वानुयोग, पूर्वगत अने चूलिका ए पांच दृष्टिवादना नेदो तो दोयज़ ने. कारण पूर्वगतमां चौद पूर्व रहेला ले माटे, एम बन्ने स्थाननां अध्ययनने विषे पण दृष्टिवादना पाग्थी दश पूर्वना अध्ययनने विषे पण चौद पूर्वीपणानो संन्नव श्राय जे. एमां का विरोध नथी. ॥कार्तिक शेठनी कथा ॥ पुण्ये करीने पवित्र तथा कल्याणकारी हस्तिना पुरी नामे नगरी, त्यां श्रेष्ठ समकितनां पात्ररुप, एक हजार अने पाठ श्रावक पुत्रोए सेवन करेलो, राजाने तथा बीजा वेपारीने बहु मान्य एवो कार्तिक शेठ नामे वेपारी वसतो इतो. वली ते नगरमांबीजोको गंगदत्त नामे महा धनवान् शेठ रदेतो हतो. तेणे अवसर मलवायी श्री मुनिसुव्रतस्वामी पासे दीक्षा लीधी इती. हवे ते नगरमां गैरिक नामे को तपस्वी आव्यो. ते निरंतर मासक्षपगने अंते पारणुं करतो इतो. नगरवासी लोको पण नक्तिपूर्वक पोताना घेरथी आवीने मासकमाना पारणाने अवसरे “ हुं पेलो हुं पेलो" एवा आमदयी तेनुं निमंत्रण करता. पारणाने वखते नगरमा आवेला ते तापसने
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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