SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२७) श्री आदिनाथचरित्र. पुरुष के, जे आपनी पेठे धर्मतीर्थ प्रवर्तीवे." प्रनुए कां. "त्हारो पुत्र मरीचि बेल्लो (चोवीसमो) वीर नामे तीर्थंकर थशे; परंतु पहेलां तो ते वासुदेव, महाविदेह क्षेत्रने विषे मूका नगरीमां चक्रवर्ती अने बेवट नरतक्षेत्रमा तीर्थकर शे.” प्रत्तुना आवां वचन सांजलीलरतराजा जगवानने नमस्कार करीने पछी मरीचिने वंदन करवा गयो. त्यां जश् तेने त्रण प्रदक्षिणा तथा नमस्कार करीने कडं. “ आप प्रथम वासुदेव, पडी महाविदेह केत्रने विषे मूकानगरीमां चक्रवर्ती थवाना गे ए हेतुथी नहि तेमज आ कुलिंग धारण करयु ने एथी पण नहीं; परंतु येवट आ नरतत्रने विषे ल्ला वीरनामे तीकर थवाना बो ए हेतुथीज हुं आपने नक्तिपूर्वक वंदना करुं बुं." श्रा प्रमाणे कदीने जरतराजा गया पठी तेमना वचनथी हर्ष पामेलो मरीचि प्रणवार पोताना हाथथी खन्नाने मारी कहेवा लाग्यो के, “अहो। म्हारी पदवी, स्थान अने कुल जगत्मां सर्वोत्तम ." श्रावी रीते क-- हेता एवा तेणे कुलमदथी नीच गोत्रकर्म नपार्जन करयुं. अहो ! सुखने नाश करनारी प्राणीननी मदप्राप्तिने धिक्कार थान धिक्कार थान.!! प्रन्नुर्नु कुमार अवस्थामां विशलाख पूर्व, नूपतिपणामां सग्लाख पूर्व, बद्मस्थावस्थामां एकहजार वर्ष अने बाकीचें केवलीपणामां एम कुल चोराशीलाख पूर्वनुं आयुष्य इतुं. दवे प्रजुना साधु साध्वी विगेरे परिवारनुं प्रमाण कहे . गणने धारण करनारा चोराशी गणधरो, चोराशीहजार पुंमरीकादिक साधुन, त्रणलाख ब्राह्मी विगेरे साध्वीन, त्रणलाख अने पंचागुंहजार श्रावको, पांचलाख अने चोपनहजार सुन्नज्ञदिक यशवंती श्राविकान, चारहजार चारसे ने सत्तावन गुणवंत चौद पूर्वधारीन, नव हजार अवधिज्ञानीन, वीशहजार केवलीन, वीशहजार अने उसे वैक्रियल ब्धिवालान, बारहजार अने सातसें मनःपर्यवं ज्ञानवाला, बारहजार उसे अने पचास वादीसाधुन तथा बावीशहजार अने नवसें अनुत्तर विमानवासी महात्मान, आ प्रमाणे प्रन्नुनो परिवार हतो. हवे त्रीजा श्राराना त्रण वर्ष अने मामा आठ मास बाकी रह्ये ग्तेमाघ मासनी अंधारी तेरसने दिवसे अनिचा नक्षत्रनो चं उते मनात समये चौद नक्ते (उ नपवासे) पर्यकासने (पलांढीवाली) बेठेला प्रन्नु पोताना, न
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy