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________________ श्री महाबल चरित्र. (१४७) तां ते पुत्रना केशने पोताना वस्त्रमा लश्लीधा. पनी महाबल दिव्य चंदनी शरीरे लेप करी, सर्व अलंकारोथी नूषित श्रइ, हजारो मनुष्योए नपामेली पालखीमां बेठगे. वली मस्तके बत्र धारण कराएलो, चामरोश्री विजाएलो, अत्यंत म्होटी सेना सहित परिवारथी विटाएलो अने मनुष्योए स्तुति करेलो ते महाबल रजोहरणने ग्रहण करी नगरीथी निकलीने हर्षवमे श्री धर्मघोष सूरीश्वर पासे आव्यो. त्यां माता पिताए ते महाबल कुमारने आगल करी, गुरुना चरणकमलने नमस्कार करीने कडं के “हे नगवन ! आ अमारो अत्यंत प्रिय एवो एक महाबल नामनो पुत्र संसारना नयथी तमारी पासे चारित्र लेवानी ना करे , माटे हे प्रनु! आपना इस्तथी एने तत्काल दीक्षा पापी संसारना ज़य रहित करो,” गुरुए ते वात अंगीकार करी एटले कृतार्थ एवा मदाबले ईशान दिशामां जा पोतानी मेले देहथी सर्व आनूषणोने त्यजी दीघां. पठी प्रत्नावती माताए रुदन करता उतां ते सर्व लइ पुत्रने कयु के, “हे वत्स ! त्हारे निरंतर पा चारित्रने विषे अत्यंत यत्न करवो. नवना हेतुरुप प्रमाद न करवो अने विशेष धीरज धारण करवी.” पुत्रने ा प्रमाणे शीदा पापी माता पिता सूरीश्वरने वंदना करी पोताना नगरे गया, , अहिं पागल कुमारे पंचमुष्ठी लोच करीने पती श्री धर्मघोष सूरि पासे आवी नमस्कार करीने कडं के, “हे विन्तु ! हुं जन्मादि उःखथी अत्यंत नय पाम्यो बु. वली आ लोक पण जन्ममरणादि अग्निथी लीपा रहेलो डे, माटे मने दिवारूप अमृतनुं दान पापीने तत्काल शीतल करो." तेनां आवां वचनयी गुरुए तेने पोताना हाथी दिवा आपी सर्व प्राचारमा प्रविण बनाव्यो.. मदाबल मुनि पण त्रण गुप्तिअने पांच समितिथी युक्त बतां विनयादिक गुणोथी चौद पूर्व नण्या. पनी उहअध्मादिक विविध प्रकारना तपवमे श्रात्मानेन्नावती ते मुनि बारवर्ष पर्यंत अतिचारना लेश विना मारित्रने पाली अंते आलोचनालश् एक मासना अनशनश्री मृत्यु पामी ब्रह्मदेवलोकने विषे दश सागरोपमनी स्थितिवाला देवता अया. त्यांची चवीने ते महाबल मुनिनो जीव वाणिज नामना नगरने विषे संपत्तिथी म्होटा शेग्ना कुलने विषे नत्पन्न अयो. त्यां तेमन सुदर्शन नाम पम्यु. अनुक्रमे ते बाल्यावस्था त्यजी नगरमां श्रेष्ठ एवी सुदर्शन शेग्नी पछि पाम्पो. एवामां त्यां नगवान् श्री महावीर स्वामी समवसवा.
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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