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________________ [हिन्दी गद्य-निर्माण समय की वहुत-सी घिनौनी रीतियों और रस्मों को, जिनके नाम लेने से भी हम घिना उठते हैं, और उन सब महाघोर हिंसात्रों को, जिनके सवर से अपने अहिंसा धर्म के प्रचार करने में बौद्धों को सुविधा हुई थी, पुगणकर्ताओं ने उठाकर शुद्ध सात्विक धर्म को विशेष स्थापित किया । अनेक मत मतान्तरों का प्रचार भी पुगणों ही की करतूत है। पुराण वाले तो पचायतन-पूजन ही तक से संतोष करके रह गये । तंत्रों ने बड़ा संहार किया। उन्होंने अनेक क्षुद्र देवता- भैरव, काली डाकिनी-शाकिनी, भूत-प्रेत तक की पूजा को फैला दिया। मद्य-मास के प्रचार को, जिसे बौद्धों ने तमोगुणी और मलिन समझ उठा दिया था, तात्रिकों ने फिर वहाल किया । पर वल-वीर्य की . पुष्टता से, जो मासाहार का प्रधान लाभ था, ये लोग फिर भी वचित हो । रहे । निस्सन्देह तात्रिकों की कृपा न होती, तो हिन्दुस्तान ऐसा जल्द न डूबता । वेद के अधिकारी शुद्ध ब्राह्मण के लिये तान्त्रिक दीक्षा या तंत्र-मंत्र आदि निपिद्ध है । ब्राह्मण तंत्र के पठन-पाठन से बहुत जल्द पतित हो सकता है, यह जो किसी रमृतिकार का मत है, हमे भी कुछ-कुछ, संयुक्तिक मालूम होता है । वहुत से पुराण तन्त्रों के बाद बने । उनमें भी तान्त्रिकों का सिद्धान्त पुष्ट किया गया है। . . हम ऊपर लिख आये हैं कि हिन्दू जाति मे कौमियत छिन्न होने का सूत्र पात पुराणों के द्वारा हुआ । और तंत्रों ने उसे बहुत पुष्ट किया । शैव, शाक्त, वैष्णव, जैन, बौद्ध इत्यादि अनेक जुदे-जुदे फिरके हो गए जिनमें इतना दृढ़ विरोध कायम हुश्रा कि एक दूसरे के मुहं ,देखने के वादार न हुए, तव परस्पर का एका और सहानुभूति कहाँ रही । जव समस्त हिन्दू जाति की एक वैदिक सम्प्रदायन रही, तो वही मसल चरितार्थ हुई कि “एक नारि जव दो मे फंसी, जैसे सत्तर वैसे असी ।" हमारी एक हिन्दू जाति के असंख्य टुकड़े होतेहोते यहा तक खण्ड हुये कि अव तक नये-नये धर्म और मतप्रवर्तक होते ही जाते हैं । ये टुकड़े जितने वैष्णवों में अधिक हैं उतने शैव, शाकों में नहीं और अापस में एक का दूसरे के साथ मेल और खान-पान जितना कम इनमे है उतना औरों में नहीं। राम के उपासक कृष्ण के उपासक से लड़ते हैं, कृष्ण के
SR No.010761
Book TitleHindi Gadya Nirman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmidhar Vajpai
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2000
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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