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________________ ( १४ ) . से कोई परिवर्तन नहीं किया है । जिस जगह से जैसे लेख हमको मिले है, वैसे ही हमने रखे हैं। यदि हमको कोई परिवर्तन मालूम हुयी है, तो हमने लेखकों की शैली का ध्यान रख कर उसको असली रूप में ही रखने का प्रयन किया है। फिर भी पुराने लेखकों की असली हस्तलिपियाँ जब तक हमको प्राप्त न हो जावें, हम क्या कर सकते हैं। हमको तो इस बात की अत्यन्त श्रावश्यकता मालूम होती है कि हिन्दी के हमारे पूर्वज ग्रन्थकार और लेखक-जो हमारे लिए ऋषितुल्य पूज्य हैं-उनकी हस्तलिपियाँ हम हरएक प्रयत्न से प्राप्त करें और उनको संग्रहालयों में लाकर सुरक्षित रखें । इन चीजों से हमको हिन्दी के गद्य-पद्य के विकास का इतिहास लिखने मे आगे वहुत मदद मिल सकती है। इस संग्रह मे जिन विद्वान् गद्यकारों के लेख रखे गये हैं; और जहाँ से हमने उनको चुना है, उन सभी लेखकों और प्रकाशकों के प्रति हम अपनी हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करते हैं । आशा है कि जिन युवक लेखकों के लिए हमने यह प्रयत्न किया है, वे इससे समुचित लाभ उठाकर हमारे परिश्रम को सफल करेंगे। दारागंज, . वैशाख शुक्ला ११ सं० १५१४, लक्ष्मीधर बाजपेयी
SR No.010761
Book TitleHindi Gadya Nirman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmidhar Vajpai
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2000
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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