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________________ आजकल के छायावादी कवि और कविता] ११६ : पत्तो से शरीर ढौंकते थे, उनके बनाये कपड़ों से सारा संसार बाबू बना -फिरता है । जिनके पिता. सिर पर गठरी' ढोते थे वही पहले दर्जे के अमीर हैं। जिनके पिता स्टेशन से गठरी श्राप ढोकर लाते थे, उनके सिर पर पगड़ी सँभालना भारी है । जिनके पिता का कोई पूरा नाम न लेकर पुकारता या; वही बड़ी-बड़ी उपाधि धारे हुए हैं। संसार का जब यही रङ्ग है तो ऊँट पर । चढने वाले सदा ऊंट ही पर चढ़े यह कुछ बात नहीं। किसी की पुरानी बात यो खोलकर कहने से अाजकल के कानून से हतक-इज्जत हो जाती है। , तुम्हें खबर नहीं कि अब मारवाड़ियों ने "एसोसियेशन बना ली है। अधिक बलबलायोगे तो वह रिजोल्यूशन पास करके तुम्हे मारवाड़ से निकलवा देंगे। अतः तुम उनका कुछ गुणगान करो जिससे वह तुम्हारे पुराने हक को समझे और जिस प्रकार लार्ड कर्जन ने किसी जमाने के ब्लैक होल को उस पर लाट बनवाकर और उसे संगमरमर से मढ़वा कर शानदार बना दिया है उसी प्रकार मारवाड़ी तुम्हारे लिए मखमली काठी, जरी की गद्दियाँ, 5 हीरे-पन्ने की नकेल और सोने की घंटियाँ बनवाकर तुम्हें वड़ा करेंगे और अपने बड़ों की सवारी का सम्मान करेंगे। माजकल के छायावादी कवि और कविता .. [लेखक-प्राचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी] । सुकविता यद्यस्ति राज्येन किम्-भत हरि । श्रीयुत रवीन्द्रनाथ ठाकुर की गणना महाकवियों मे है। वे विश्वविश्रत - कवि हैं। उनके कविता-ग्रन्थ विदेशों में भी बड़े चाव से पढ़ जाते हैं । कविता अन्यों ही का नहीं, उनके अन्य ग्रन्थों का भी बड़ा आदर है, उनकी कृतियों के अनुवाद अनेक भाषाओं में हो गये हैं और होते जा रहे हैं। उन्हें साहित्य क्षेत्र में पदार्पण किये कोई ५० वर्ष हो गये। बहुत कुछ अन्य रचना कर चुकने पर उन्होंने एक विशेष प्रकार की कविता की सृष्टि की है। यह
SR No.010761
Book TitleHindi Gadya Nirman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmidhar Vajpai
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2000
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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