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________________ शिवमूर्ति ] १०५ विचारे, उतना ही अधिक उपदेश प्राप्त कर सकते हैं इसलिए हम इस विषय ___ को अपने पाठकों के विचार पर छोड़ आगे बढ़ते हैं । '. बहुत मूर्तियों के पाँच मुख होते हैं जिससे हमारी समझ में यह आता ___ है कि यावत् संसार और परमार्थ का तत्व तो चार वेदों में आपको मिल । जायगा, पर यह न समझियेगा कि उनका दर्शन भी,वेद विद्या ही से प्राप्त ___ है। जो कुछ चार वेद सिखलाते हैं उससे भी उनका रूप उनका गुण । अधिक है । वेद उनकी वाणी है। केवल चार पुस्तकों पर ही उस वाणी की इति नहीं, है । एक मुख और है जिसकी प्रेममयी वाणी केवल प्रेमियों के सुनने में आती है। केवल विद्याभिमानो अधिकाधिक चार वेदों द्वारा बड़ी हद तक चार फल (धर्मार्थ, काम, मोक्ष) पा जायगे, पर उनके पचम मुख सम्बन्धी सुख औरों के लिये हैं । - शिवमूर्ति क्या है और कैसी है यह बात तो बड़े ऋषि मुनि नहीं - कह सकते हम क्या हैं । पर जहाँ तक साधारणतया बहुत सी मूर्तियाँ देखने मे भाई हैं उनका वर्णन हमने यथामति क्विया, यद्यपि कोई बडे बुद्धिमान । इस विषय मे लिखते तो बहुत सी उत्तमोत्तम बाते और भी लिखते, पर इतने लिखने से भी हमे निश्चय है किसी न किसी भाई का कुछ भला हो ही के रहेगा। मरने के बाद कैलाश-वास तो विश्वास की बात है । हमने न कैलाश देखा है न किसी देखने वाले से वार्तालाप अथवा पत्रव्यवहार किया है। यदि होता होगा तो प्रत्येक मूर्ति के पूजक को ही ' रहेगा पर हमारी इस अक्षरमयी मूर्ति के सच्चे सेवकों को संसार ही में कैलाश का सुख प्राप्त होगा इसमें सन्देह नहीं है, क्योंकि जहाँ शिव हैं वहाँ कैलाश है । तो जब हमारे हृदय में शिव होंगे तो हमारा हृदय-मंदिर क्यों 'न कैलाश होगा ! हे विश्वनाथ ! हमारे हृदय मन्दिर को कभी कैलाश बनायोगे ? कभी वह दिन दिखाअोगे कि भारतवासी मात्र केवल तुम्हारे हो ___जॉय और यह पवित्र भूमि फिर कैलाश हो जाय १ जिस प्रकार अन्य धातु । पाषाणादि-निर्मित मूर्तियों का, रामनाथ, वैद्यनाथ, अानन्देश्वर, खेरेश्वर ___ आदि नाम होते हैं वैसे इस, अक्षरमयी शिवमूर्ति के अगणित नाम हैं ।
SR No.010761
Book TitleHindi Gadya Nirman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmidhar Vajpai
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2000
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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